Prashant Kishor: मुसलमानों का अपमान नहीं बर्दाश्त कर सके प्रशांत किशोर, BJP विधायक की लगा दी जमकर क्लास
यूपी के बाद अब बिहार में भी होली पर मुसलमानों को लेकर दिए बयान पर घमासान मच गया है। बीजेपी विधायक बचौल के बयान ने सियासी गर्मी तेज कर दी है। इस सियासी जंग में जनसुराज के संयोजक प्रशांत किशोर भी कूद गए हैं। प्रशांत किशोर ने बीजेपी विधायक को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन चल रहा है क्या जो फरमान जारी हो रहा है।

डिजिटल डेस्क, पटना। होली और रमजान के एक ही दिन पड़ जाने से पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती बन गई है। लेकिन उससे भी बड़ी चुनौती अब नेताओं की बयानबाजी बन गई है। बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर उर्फ बचौल के मुसलमानों के ऊपर दिए बयान से सियासत तेज हो गई है। अब इस मामले में जनसुराज के संयोजक प्रशांत किशोर भी कूद गए हैं।
मुसलमानों के लिए क्या कहा था बीजेपी विधायक ने?
आइए सबसे पहले बताते हैं कि आखिर बीजेपी विधायक बचौल ने क्या कहा था जिससे सियासी घमासान छिड़ गया। दरअसल, बीजेपी विधायक बचौल ने कहा था कि होली के दिन मुसलमान घर से बाहर ना निकलें और अगर घर से बाहर निकल रहे हैं तो अपना कलेजा बड़ा रखें, ताकि यदि कोई आपको रंग लगा दे तो आप बर्दाश्त कर सकें।
प्रशांत किशोर ने क्या कहा?
वहीं, अब इस मामले पर प्रशांत किशोर आग बबूला हो गए हैं। उन्होंने बीजेपी विधायक को नसीहत दे डाली है। उन्होंने कहा कि क्या भाजपा विधायक के बाप का राज है? वे किसी भी स्थिति में अपना मत किसी पर नहीं थोप सकते।
प्रशांत किशोर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या बीजेपी के विधायक जब बोलेंगे तब ही लोग घर से लोग बाहर निकलेगा, नहीं तो नहीं निकलेगा? बीजेपी विधायक की जागीर है क्या? ये कोई अंग्रेजों का राज है कि बीजेपी विधायक फरमान जारी करेंगे और पब्लिक मान लेगी।
पब्लिक वह करेगी जो उनको सही लगेगा, बीजेपी विधायक यहां के लाट साहब नहीं हैं जो बोलेंगे लोग मानेगा।
तुष्टिकरण के कारण सनातन संस्कृति को खारिज करना अनुचित : विजय सिन्हा
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने रंगभरी एकादशी के अवसर पर प्रदेशवासियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमारी सनातन की संस्कृति में समाहित राग और रंग का उत्सव है। इसीलिए इसमें परिवेश और अपने भीतर की अशुद्धियों का होलिका-दहन किया जाता है।
यह बड़ी विडंबना है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कुछ लोग इस सात्विक परंपरा को कुंठित करने का प्रयास करते हैं
। इसके बदले सनातन की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए मांसाहार और केक पर आधारित ''''क्षेपक संस्कृति'''' को बढ़ावा देते हैं। लेकिन आज देश में अपनी संस्कृति और मूल्यों को लेकर आई जागरूकता के कारण ये ''''वोट बैंकवादी'''' हाशिए पर चले जा रहे हैं।
सिन्हा ने कहा कि सनातन की परंपरा पूरी तरह से प्रकृति और संस्कृति पर आधारित है। इसीलिए हमारे यहां फसल-चक्र से लेकर जीवन-चक्र तक और तीज-त्यौहार से लेकर हर्ष-उल्लास के अवसर प्रकृति के आधार पर तय होते हैं। हमारे हर मंगल और उत्सव के मौके पर प्रकृति के प्रति आभार भी व्यक्त किया जाता है।
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