BPSC अध्यक्ष की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, SC ने बिहार सरकार से मांगा जवाब
बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में SC ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही पीठ ने यातिकाकर्ता वकील ब्रजेश सिंह को ऐसे मामलों में याचिका दायर करने से बचने की भी सलाह दी है। कोर्ट ने याचिका आगे बढ़ाने के लिए एक न्याय मित्र भी नियुक्त किया।

पीटीआई, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति का मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया है। शीर्ष कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को लेकर भी नाराजगी जताई है।
बता दें कि बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर परमार रवि मनुभाई की नियुक्त की गई है। इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता और वकील ब्रजेश सिंह ने एक जनहित याचिका दाखिल की है।
इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इसे लेकर बिहार की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार से जवाब मांगा है।
SC ने की आलोचना
हालांकि, पीठ ने इस दौरान याचिकाकर्ता वकील को लेकर भी नाराजगी जताई। दरअसल, पीठ जानना चाहती थी कि याचिकाकर्ता वकील का बीपीएसी के कामकाज से कोई सरोकार या संबंध नहीं है, इसके बावजूद उन्होंने (वकील ने) जनहित याचिका दायर क्यों की है?
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि एक वकील के रूप में आपको इस प्रकार की जनहित याचिका दायर करने से दूर रहना चाहिए, जबकि आपका बीपीएससी से कोई संबंध या सरोकार नहीं है।
इसके साथ ही पीठ ने राज्य सरकार और बीपीएससी अध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए याचिका को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इतना ही नहीं, पीठ ने जनहित याचिका के जल्द निपटारे के लिए एक न्याय मित्र भी नियुक्त किया है।
BPSC अध्यक्ष की नियुक्ति को चुनौती
बता दें कि याचिका में 15 मार्च, 2024 को बीपीएससी अध्यक्ष पद पर की गई नियुक्ति को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि यह केवल 'बेदाग चरित्र' वाले लोगों को लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त करने के संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ की गई थी।
BPSC अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार का मामला
- जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि परमार बिहार के सतर्कता ब्यूरो की ओर से दर्ज किए गए कथित भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी थे और मामला पटना में एक विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित था।
- इससे जाहिर है कि प्रतिवादी नंबर 2 (परमार) पर भ्रष्टाचार और जालसाजी के गंभीर आरोप हैं। ऐसे में उनके ईमानदार होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसलिए, उन्हें बीपीएससी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि परमार ने अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर नियुक्त होने के बुनियादी पात्रता मानदंडों को भी पूरा नहीं किया, क्योंकि इसके लिए 'बेदाग चरित्र' होना जरूरी है।
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