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    Bihar Land Survey: भूमि सर्वे के बीच नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, नए सिरे से तैयार होगा जमीन का डाटा

    सरकार रैयतों के लिए नए जमीन के अधिकार अभिलेख तैयार कर रही है। इसमें रैयत का नाम खाता खेसरा और रकवा का डाटा होगा। साथ ही हवाई एजेंसी द्वारा खेसरा नंबर सहित विशेष सर्वे नक्शा और ऑनलाइन पंजी-2 से जमाबंदी संख्या और जमाबंदीदार का नाम लिया जाएगा। इस डाटाबेस से जमीन से जुड़ी हर जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी और इससे जमीन संबंधी विवादों को कम करने में मदद मिलेगी।

    By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 03 Feb 2025 01:47 PM (IST)
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    भूमि सर्वे के बीच नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, नए सिरे से तैयार होगा जमीन का डाटा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग नए सिरे से जमीन का अधिकार अभिलेख तैयार कर रहा है। इसमें रैयत का नाम, खाता, खेसरा और रकवा का डाटा लिया जाएगा। इसके अलावा, हवाई एजेंसी द्वारा खेसरा नंबर सहित विशेष सर्वे नक्शा एवं ऑनलाइन पंजी-2 से जमाबंदी संख्या और जमाबंदीदार का नाम लिया जाएगा।

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    अमीन गांव में घूमकर वर्तमान दखलकार का नाम, खतियानी रैयत से जमाबंदी रैयत का संबंध, जमाबंदीदार से वर्तमान दखलकार का संबंध और भूमि पर दखल का आधार जैसी जानकारी जुटाएंगे।

    विवरणी कुल 14 कालम की होगी, जिसमें हरेक खेसरा से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध होगी।

    कैसे तैयार होगा जमीन का डाटा?

    भूखंडों के स्वामित्व संबंधी विवरणी तैयार करने के लिए प्रपत्र- पांच में भरे गए आंकड़े, हवाई एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए गए विशेष सर्वेक्षण मैप, ऑनलाइन जमाबंदी पंजी और अमीन द्वारा इकट्ठा की गई भौतिक विवरणी का इस्तेमाल किया जाएगा।

    विभाग के अनुसार, इन जानकारियों का इस्तेमाल अमीन याददाश्त पंजी तैयार करने और खेसरा पंजी भरने में करेंगे। इससे गलती की संभावना कम हो जाएगी, किस्तवार और खानापुरी में समय कम लगेगा और सुनवाई में समय की बचत होगी।

    मंत्री दिलीप जायसवाल ने दी जानकारी

    राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने सोमवार को कहा कि सारे उपलब्ध आकड़ों का इस्तेमाल नए अधिकार अभिलेख तैयार करने में किया जाएगा। यह प्रमाणिक दस्तावेज होगा।

    उन्होंने बताया कि जमीन से जुड़ी हरेक जानकारी अमीन के मोबाइल में उपलब्ध रहेगी, जिसके आधार उसे यह पता रहेगा कि पूर्व के सर्वे में जमीन किसके नाम थी, रकबा क्या था, जमीन कितने टुकड़ों में विभक्त हुई है।

    उन्होंने बताया कि पहले और मौजूदा समय में भूमि की प्रकृति क्या है। एनआईसी और भू-अभिलेख निदेशालय का आईटी विभाग इसे अंतिम रूप दे रहा है।

    राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने 17 जनवरी की बंदोबस्त पदाधिकारियों की बैठक में इससे संबंधित निदेश दिए था। इस निदेश के आलोक में यह उपयोगी डाटा बेस तैयार किया जा रहा है।

    नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दी जा रही भूमि सर्वेक्षण की जानकारी

    राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि सर्वेक्षण को गांव-गांव तक सरल भाषा में पहुंचाने के लिए नुक्कड़ नाटकों का प्रदर्शन शुरू कर दिया है। जनवरी महीने में सभी जिला मुख्यालयों पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आम लोगों को सर्वे के बारे में जानकारी दी गई। यह सिलसिला जारी है। योजना के मुताबिक एक अंचल में छह नाटक किया जाना है।

    इनमें से दो सर्वे शिविर या अंचल कार्यालय में आयोजित होगा। बाकी चार ग्रामीण क्षेत्रों में होने जा रहा है। फरवरी के अंत तक शिविरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभियान पूरा हो जाएगा। 25 नाटक मंडलियां दक्षिण बिहार और 35 उत्तर बिहार में हिस्सा ले रही हैं। हरेक मंडली में 10 कलाकार हैं।

    नाटक में ढोलक, झाल और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें भूमि सर्वे से संबंधित सभी जानकारियां दी जा रही हैं। सारे सवालों का सरल भाषा में जवाब दिया जा रहा है।

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