अब बिना ड्राइवर के फर्राटा भरेगी पटना में बनी 'ड्रीम कार' जानिए
पटना 'बीआइटी' के कुछ छात्रों ने संस्थान के वार्षिकोत्सव 'टेक्निका' 17 में ड्रीम कार का मॉडल प्रदर्शित किया। इस कार को बनाने में दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं।
पटना [सुधीर]। ऐसी कार, जो बिना ड्राइवर के चलेगी। कुहासे में भी फर्राटे भरेगी। अगर सफर में आप सो गए हैं तो वह गंतव्य तक पहुंचने पर आपको जगा भी देगी। ऐसी ड्रीम कार को लंबे समय से दुनिया भर के वैज्ञानिक बनाने में जुटे हैं।
बिहार की राजधानी पटना में भी कुछ युवा वैज्ञानिक इस ड्रीम कार को बनाने के करीब हैं। आगे के लिए उन्हें मदद की दरकार है। उनका दावा है कि अगर मदद मिले तो वे बाकी दुनिया से पहले ड्रीम कार बनाकर दे देंगे। पटना के इंजीनियरिंग संस्थान 'बीआइटी' के वार्षिक उत्सव 'टेक्निका' 17 में छात्रों ने इसके लघु प्रारूप का प्रदर्शन किया।
ऐसी होगी ड्रीम कार
ड्रीम कार में ड्राइवर की कोई जरूरत नहीं होगी। वह पूरी तरह स्वचालित होगी। जीपीएस और सीसी कैमरे के सहारे वह फर्राटे भरते हुए रास्ता तय करेगी। कार को गंतव्य का आदेश दीजिए और वहां के लिए चल पड़ेगी। सड़क से कहीं भटकेगी नहीं। पूरी तरह ट्रैफिक नियमों का पालन करेगी। जरूरत के हिसाब से हॉर्न भी बजाएगी और साइड भी देगी।
बीच में जो सुनने या देखने का आदेश देंगे, वह फरमाइश पूरी होगी। धुंध हमेशा गाडिय़ों के लिए खतरनाक साबित होती है, लेकिन ड्रीम कार में अल्ट्रासोनिक साउंड डिवाइस लगा होगा। इससे धुंध में भी इसे चलने में कोई परेशानी नहीं होगी।
इको फ्रेंडली होगी सपनों की गाड़ी
ड्रीम कार पूरी तरह इको फ्रेंडली होगी। इसमें पेट्रोल या डीजल की जरूरत नहीं होगी। वह बैट्री से चलेगी। इसके लिए लिथियम पॉलीमर बैट्री का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे यह बिना किसी परेशानी के लंबा सफर तय कर सकेगी।
बीआइटी में छात्रों ने दिखाया मॉडल
बीआइटी के वार्षिक उत्सव 'टेक्निका' 17 में छात्रों ने ऑटोनोमस रोबोट बनाकर इसके लघु प्रारूप का प्रदर्शन किया। ऑटोनोमस रोबोट खुद ही अपना रास्ता तय करता है, चाहे रास्ता जितना टेढ़ा-मेढ़ा हो। ड्रीम कार या ऑटोनोमस कार इसका विकसित रूप होगा। छात्रों का मार्गदर्शन बीआइटी के प्रो. गिरीश पाठक कर रहे हैं।
कार खुद लेगी फैसले
ऑटोनोमस कार यानी ड्रीम कार खुद ही ढेर सारे फैसले लेगी। कार सेंसर की मदद से काम करेगी। इस प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र जयमंगल बताते हैं कि इसमें माइक्रो कंट्रोलर लगे होंगे। वे सरल शब्दों में समझाते हैं, जैसे मां-बाप हमें सिखाते हैं कि इधर चलना है, ऐसे चलना है, गड्ढे से बचकर चलना है, उसी तरह कार में भी इस हिसाब से प्रोग्रामिंग की जाती है।
एक दिन जैसे हमलोग खुद फैसले लेने लगते हैं, वैसे ही सारे प्रोग्राम फीड कर देने के बाद कार भी खुद जरूरत के हिसाब फैसले करने लगती है।
10-15 लाख रुपये में तैयार होगा मॉडल
जयमंगल बताते हैं कि ड्रीम कार का मॉडल बनाने में 10-15 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। तीन मुख्य खर्च हैं- एक तो कार, दूसरी इलेक्ट्रॅनिक डिवाइस और तीसरी बैट्री। बैट्री में सात-आठ लाख रुपये खर्च आएंगे। डिवाइस में चार-पांच लाख का खर्च आएगा। अब युवा वैज्ञानिक इस कार को बनाने के लिए मदद की आस जोह रहे हैं।
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