बिहार में विज्ञान का चमत्कार! पटना साइंस सिटी में थ्रीडी का रोमांच; समुद्र में चलने का एहसास, देखें Photos
Patna Science City एक ऐसा स्थान है जहां विज्ञान को खेल के माध्यम से सीखा जा सकता है। यह बच्चों के लिए रोमांचक अनुभव प्रदान करता है, जहाँ उनकी जिज्ञासा ...और पढ़ें

पटना साइंस सिटी में बच्चों की जिज्ञासा को मिल रही उड़ान
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जागरण संवाददाता, पटना। विज्ञान अगर किताबों से निकलकर आंखों के सामने जीवंत हो जाए, तो सीखना बोझ नहीं बल्कि रोमांच बन जाता है। कुछ ऐसा ही अनुभव इन दिनों पटना साइंस सिटी में देखने को मिल रहा है, जहां स्कूलों से आए बच्चे, अभिभावक और युवा न सिर्फ घूम रहे हैं, बल्कि विज्ञान को छूकर, देखकर और समझकर सीख रहे हैं।
राजधानी के गर्दनीबाग क्षेत्र में स्थित पटना साइंस सिटी अब महज एक दर्शनीय स्थल नहीं, बल्कि ज्ञान, जिज्ञासा और नवाचार का केंद्र बनती जा रही है।

सुबह से ही यहां बच्चों की चहलकदमी शुरू हो जाती है। स्कूल यूनिफॉर्म में आए छात्र-छात्राएं कभी अंतरिक्ष विज्ञान गैलरी में रॉकेट और सैटेलाइट के मॉडल को देखकर उत्साहित होते हैं, तो कभी मानव शरीर की संरचना को दर्शाने वाले थ्री-डी मॉडल के सामने ठहरकर सवालों की बौछार कर देते हैं।
शिक्षक भी इस माहौल में पारंपरिक क्लासरूम से बाहर निकलकर पढ़ाने का अलग ही आनंद महसूस करते हैं।

खेल-खेल में विज्ञान की समझ
पटना साइंस सिटी की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां विज्ञान को खेल और प्रयोग के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इंटरएक्टिव उपकरणों के जरिए बच्चे खुद बटन दबाकर, लीवर घुमाकर और स्क्रीन पर प्रयोग कर यह समझ पाते हैं कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान असल जिंदगी में कैसे काम करते हैं।
गुरुत्वाकर्षण, ऊर्जा संरक्षण, ध्वनि तरंगें और प्रकाश का अपवर्तन जैसे कठिन विषय यहां बच्चों को सहज और रोचक तरीके से समझ में आते हैं।
एक कोने में बच्चे साइकिल चलाकर बिजली पैदा करते दिखते हैं, तो दूसरे हिस्से में पानी और हवा की ताकत को प्रयोग के जरिए समझते हैं। यह अनुभव बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में चमक साफ दिखाई देती है।

अंतरिक्ष से लेकर समुद्र की गहराइयों तक सफर
साइंस सिटी की स्पेस गैलरी बच्चों के लिए किसी सपने से कम नहीं है। यहां इसरो के मिशनों, चंद्रयान और मंगलयान से जुड़ी जानकारियां सरल भाषा में दी गई हैं। रॉकेट लॉन्च का सिमुलेशन देखकर बच्चे खुद को वैज्ञानिक महसूस करने लगते हैं।

वहीं दूसरी ओर समुद्री जीवों और जलवायु से जुड़ी गैलरी बच्चों को समुद्र की गहराइयों में ले जाती है। यहां प्रदर्शित मॉडल और वीडियो यह समझाने में मदद करते हैं कि जलवायु परिवर्तन किस तरह पृथ्वी को प्रभावित कर रहा है और पर्यावरण संरक्षण क्यों जरूरी है।
रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से परिचय
पटना साइंस सिटी में आधुनिक तकनीक पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी गैलरी बच्चों को भविष्य की दुनिया से रूबरू कराती है।
यहां बच्चे रोबोट को चलते, आदेश मानते और प्रतिक्रिया देते देखकर हैरान रह जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बच्चों में तकनीकी सोच और नवाचार की भावना विकसित होती है।
परिवारों के लिए भी है खास अनुभव
साइंस सिटी सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए सीखने और समय बिताने की बेहतरीन जगह बन रही है। अभिभावक भी बच्चों के साथ प्रयोगों में हिस्सा लेते नजर आते हैं।
कई माता-पिता का कहना है कि यहां आकर उन्हें भी अपनी पढ़ाई के दिनों की याद आ जाती है, जब विज्ञान को इतना जीवंत तरीके से समझने का मौका नहीं मिला था।

बिहार के लिए गर्व की परियोजना
विशेषज्ञों का मानना है कि पटना साइंस सिटी बिहार के शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। यह बच्चों को विज्ञान और तकनीक की ओर आकर्षित करने के साथ-साथ उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करेगी। राज्य सरकार की यह पहल न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि शिक्षा को भी नई दिशा दे रही है।
आप भी जरूर जाएं
अगर आप चाहते हैं कि बच्चे मोबाइल और स्क्रीन से बाहर निकलकर कुछ नया सीखें, तो पटना साइंस सिटी एक बेहतरीन विकल्प है।
यहां हर उम्र के लोगों के लिए कुछ न कुछ खास है, चाहे वह विज्ञान की बुनियादी समझ हो, भविष्य की तकनीक की झलक हो या फिर परिवार के साथ बिताया गया यादगार समय।
पटना साइंस सिटी यह संदेश देती है कि विज्ञान डराने वाला विषय नहीं, बल्कि समझने और खोजने की रोमांचक यात्रा है। यहां से निकलते वक्त बच्चों के मन में एक ही सवाल गूंजता है, 'अगली बार फिर कब आएंगे?
प्रकाश और आवाज के जरिए समुद्र में चलने का एहसास
साइंस सिटी के बीए साइंटिस्ट दीर्घा में लगाए गए प्रदर्श जोएट्राप में थ्रीडी का प्रयोग किया गया है। यहां दीर्घा बच्चों और बड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
जमीन पर थ्रीडी लाइट और साउंड के जरिए ऐसी दुनिया रची गई है जिसमें समुद्र किनारे चलने का एहसास होता है। इसमें तैरती हुई मछलियां, पत्थर आदि के दृश्य सजीव हो उठते हैं।
वर्चुअल रिप्पल टैंक भी खूब आकर्षित कर रहा है। वहीं थ्रीडी के जरिए सम्राट अशोक की यात्रा को दर्शाया गया है। गोलाकार रूप में बने प्रदर्श में घोड़े, हाथी व युद्ध करते सैनिकों का दृश्य असली लगता है।
दूसरी विज्ञान दीर्घा में विशेष प्रकार की रोशनी के साथ घड़े में पानी का ऊपर से नीचे की ओर गिरता हुआ दिखाया गया है। देश के प्रसिद्ध विज्ञानियों के बारे में लोगों को जानकारी देने को लेकर टच स्क्रीन लगाई गई है।
हिंदी और अंग्रेजी में लोग विज्ञानियों के बारे जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। विज्ञान दीर्घा में आकर्षण का केंद्र सेल्फी प्वाइंट है।
विज्ञान गैलरी में प्रवेश करने के बाद गणित और विज्ञान की दुनिया को समझा जा सकता है। गणित के अनुपात, ज्यामिति, गणना आदि को समझने के लिए तकनीक का प्रयोग कर आसानी से समझा जा सकता है।
कंप्यूटर विज्ञान और रोबोटिक्स को समझने के लिए टच स्क्रीन के जरिए समझा जा सकता है। वहीं, एआई के जरिए आप बिहार और खेल से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए आपके सवाल का जवाब मिलता है। वहीं, आभासी रिपल टैंक के जरिए डिजिटल तालाब में कदम रखने के बाद आपके हर कदम के साथ लहरों के बारे में जानकारी मिलती है।
तरंगें समय के साथ किस प्रकार घटती-बढ़ती रहती हैं, इसे विज्ञान के जरिए दर्शाया गया है। दीर्घा तापमान के बारे में भी आपको जानकारी मिलेगी।
- 889 करोड़ रुपये की लागत से बनी है साइंस सिटी 20.5 एकड़ में हुआ निर्माण
- 11 बजे सुबह से शाम पांच बजे तक कर सकते भ्रमण आनलाइन बुकिंग पर ही प्रवेश
विज्ञान दीर्घा की खासियत
साइंस सिटी सेंटर के मुख्य विज्ञान दीर्घा में डेसिबल सिस्टम, बाइनरी नबंर सिस्टम, कंम्यूटर एनाटामी, सेंसर, चैटबाट, मशीन लर्निंग, कंजर्वेशन आफ एनर्जी आदि है।
इसके अलावा बी ए साइंटिस्ट दीर्घा में वैज्ञानिक समुदाय में शामिल हो, टीम के साथ कार्य, समुदाय से जुड़ाव आदि है। आने वाले दर्शकों को अन्य सुविधा मिलेगी।
भूतल पर फोर डी थियेटर, प्री फंक्शनल हाल, बहुउ्ददेशीय हाल की सुविधा उपलब्ध होगी। साइंस सिटी विज्ञान और नवाचार का अनूठा केंद्र होगा।
उम्र के अनुसार टिकट (रुपये में)
| 12 वर्ष से ऊपर | 50 |
| 5 - 12 वर्ष के लिए | 10 |
| विदेशी व्यक्ति | 300 |
| विदेशी बच्चा | 100 |
| दिव्यांग, बुजुर्ग (70 वर्ष) | मुफ्त |
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साइंस सिटी खुलने का इंतजार काफी समय से कर रही थी। यहां आने के बाद विज्ञान की अलग दुनिया समझ में आती है। हर आयु वर्ग के लिए यहां पर सीखने को बहुत कुछ है।
निभा कुमारी
विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। यहां बच्चों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा। विज्ञान और रोबोट के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी।
रिया कुमारी
यहां पर एआइ के जरिए आपके सवालों का जवाब देने को लेकर विज्ञान का प्रयोग किया गया है। काफी आकर्षक है। टच स्क्रीन और सेंसर के जरिए विज्ञानियों के बारे में जानकारी मिल रही है। यहां आकर सुखद अनुभव हुआ है।
अनूप कुमार

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