पटना में बारिश ने मचाया हाहाकार, मच्छर और दुर्गंध के बीच कट रही जिंदगी, 56 दिनों से राशन-इलाज को तरसते लोग
पटना शहर में 27 जुलाई को हुई बारिश के बाद जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। आठ सप्ताह से लोग घरों में कैद हैं जिससे स्कूल और अस्पताल जाने में परेशानी हो रही है। राशन की किल्लत है और महामारी का डर बना हुआ है। वार्ड पार्षद द्वारा नाव की व्यवस्था भी बाधित है।

जागरण संवाददाता, पटना सिटी। 27 जुलाई को वर्षा से जलमग्न हुए पटना शहर का पानी पहाड़ी समेत अन्य संप हाउस से बहकर राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 30 के दक्षिण में बसे मोहल्लों में फैल गया है। बार-बार बारिश होने व इन इलाकों में जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण चारों ओर दो से तीन फीट तक पानी जमा हो गया है।
आठ सप्ताह से घरों से लेकर सभी मार्ग पानी में डूबे हैं। अभी भी लोग घरों में कैद हो गए हैं। विद्यार्थियों को विद्यालय जाने व मरीजों को अस्पताल पहुंचने में परेशानी हो रहा है। सोनालिका नगर में रहने वाले पिंटू कुमार ने बताया कि पांच दिनों से नाव नहीं चलने से एक बुजुर्ग का हाथ टूटने पर उन्हें नागरिक टांग कर अस्पताल ले गए।
उससे पहले एक बुजुर्ग की मौत के बाद लोग शव को नाव ले जाकर गुलबी घाट में अंतिम संस्कार किए। 56 दिनों से लोगों को घरों में राशन लाने में परेशानी हो रही है। घेराबंदी और खाली प्लॉट पानी में डूबा हुआ है। काले व हरे पानी में पनपते मच्छरों तथा उठते दुर्गंध से नागरिक परेशान है।
जलजमाव को लेकर महामारी फैलने की आशंका से नागरिक डरे सहमे हुए हैं। लोगों ने बताया कि प्रारंभ में वार्ड पार्षद किस्मतिया देवी द्वारा नाव की व्यवस्था किए जाने के बाद आवश्यक कार्य से लोगों को बारी-बारी से निकलने का मौका मिल रहा था। बीच-बीच में नाविक के नहीं आने से विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
परीक्षा देने बच्चियों को अपने साथ अलग से कपड़ा लेकर जाना पड़ रहा है। नागरिकों का कहना है कि सिंघाड़ा की खेती करने वाले भी परेशानी बढ़ा रहे हैं। क्षेत्र में मच्छरों की संख्या में वृद्धि तथा सड़ती गंदगी से महामारी फैलने का डर गहराता जा रहा है।
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