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    Hello Doctor: सूखी खांसी को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी, जानें कब लेनी चाहिए डॉक्टर की सलाह

    Updated: Mon, 20 Jan 2025 11:35 AM (IST)

    Hello Doctor ठंड व बदलते मौसम में खांसी बुखार सिरदर्द शरीर में जकड़न व सांस फूलने की समस्या बहुत बढ़ जाती है।ठंड में होने वाली समस्याओं को लेकर डॉक्टर ...और पढ़ें

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    हेलो डॉक्टर में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने सवालों के दिए जवाब।(सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, पटना: Hello Doctor: बिहार की राजधानी पटना में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड व बदलते मौसम में खांसी, बुखार, सिरदर्द, शरीर में जकड़न व सांस फूलने की समस्या बहुत बढ़ जाती है।

    सामान्यत: वायरल या बैक्टीरियल खांसी तीन से पांच दिन में ठीक हो जाती है। इस बार सूखी खांसी लंबे समय तक परेशान कर रही है। एलर्जी, एसिड रिफ्लक्स, प्रदूषण, अस्थमा या अन्य कोई भी इसका कारण हो सकता है।

    खांसी के लिए खुद से कोई दवा, खासकर एंटीबायोटिक कतई नहीं लें। ठंड से खुद को बचाएं, सुबह-शाम भाप व गरारा के अलावा घरेलू उपाय अपनाएं। 21 दिन से अधिक खांसी या कोई दूसरा रोग सताए तो नजदीकी डॉक्टर से मिलकर जांच व परामर्श लेना चाहिए। यदि गले में दर्द हो तो पांच से 10 दिन एंटीएलर्जिक दवा व घरेलू उपायों से इतर कोई भी दूसरी दवा नहीं लेनी चाहिए।

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    इसी प्रकार वायरल बुखार तीन से पांच दिन सिर्फ पैरासिटामॉल से ठीक हो जाता है। इसके पहले व बिना डॉक्टरी परामर्श के एंटीबायोटिक या अन्य कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। ये बातें रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डॉक्टर में आईजीआईएमएस के इंटरनल मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने सुधि पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं। 

    प्रश्न: गत 10 दिन से शरीर व सिर में दर्द बना रहता है? राम कुमार अनीसाबाद पटना, नागेश्वर प्रसाद गोला रोड 

    उत्तर: ठंड में पानी कम पीने से शरीर में नमी के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी से भी दर्द हो सकता है। इसके अलावा ठंड में नियमित रूप से हल्का-फुल्का व्यायाम जरूरी है। हर दर्द के लिए दवा जरूरी नहीं है। पर्याप्त पानी, नियमित रूप से टहलने के साथ धूप सेंकना, ठंडी हवाओं से बचाव, मोबाइल पर कम समय गुजारें व समय पर सोएं व उठें। इससे आराम नहीं होने पर पैरासिटामॉल ले सकते हैं। यदि इससे भी आराम नहीं हो तो नजदीकी फिजिशियन से परामर्श लें।

    प्रश्न: सांस फूलने के साथ छाती के दाएं ओर चुभन सी रहती है। जगदीश प्रसाद गोलारोड, रितेश कुमार दानापुर, प्रभाष कुमार कंकड़बाग

    उत्तर: ठंड व प्रदूषण के कारण हुई एलर्जी से लेकर बीपी, हृदय, किडनी जैसे रोगों तक में सांस फूलती है। कई बार यह खतरनाक रोगों का संकेत हो सकता है। ऐसे में यदि हृदय, किडनी, बीपी रोगियों को सांस फूलने की नई समस्या महसूस हो तो तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए। भले ही सांस फूलने का कारण सामान्य हो, लेकिन यदि यह समस्या लगातार बढ़े तो छाती का एक्स-रे, ईसीजी व खून की जांच कराकर देखना चाहिए। यदि किडनी रोग है तो डाक्टर के बताए अनुसार पानी पिएं, नमक का सेवन कम करें।

    प्रश्न: वायरल को दो माह बीते, नहीं ठीक हुई खांसी? उषा पांडेय आरपीएस मोड़, वीरेश्वर पालीगंज

    उत्तर: वायरल संक्रमण के बाद इस बार प्रदूषण एवं तापमान में अंतर के कारण खांसी लंबी खिंच रही है। इसका कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन कोई दवा इस पर बहुत प्रभावी नहीं है। 10 दिन एंटीएलर्जिक दवा लें नहीं ठीक होता है तो एक्स-रे कराकर नजदीकी डाक्टर से मिलें, ताकि इसके दुष्प्रभावों को देख उनका निदान किया जा सके। गरारा, भाप व घरेलू उपाय लेते रहें।

    प्रश्न: पहले कब्ज था, अब खाने से ताकत नहीं मिल रही, पाखाना सख्त? विश्वनाथ आरा, राजीव रंजन हाजीपुर

    उत्तर: मधुमेह अनियंत्रित होने पर कई बार पहले तीन-चार दिन कब्ज, फिर पतले दस्त का क्रम चलता रहता है। इसके अलावा पेट फूलना, भूख न लगना भी इसके लक्षण हैं। खाने में फल, हरी सब्जियों के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ जीवनशैली सुधारें। इससे आराम नहीं होने पर डाक्टर से मिलें। गैस की दवा को आदत नहीं बनाएं, इसके अपने दुष्प्रभाव होते हैं।

    इन्होंने भी पूछे सवाल

    साहिल पटना, शिवप्रकाश मीठापुर, मोहन प्रसाद गायघाट, शिवनंदन प्रसाद रामकृष्णा नगर, भरत कुमार परसा बाजार, सुरेंद्र केशव पटना, राजेश्वरी राय कंकड़बाग आदि।

    स्वस्थ रहने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

    हेलो डॉक्टर में आईजीआईएमएस के इंटरनल मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि -

    • बिना वजह एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन नहीं करें।  
    • पीने का पानी शुद्ध हो यह सुनिश्चित करें, टंकी के पानी को आरओ शुद्ध नहीं कर पाता।
    • कोई भी नया लक्षण दिखे तो अनदेखी न करें, तुरंत अपने डाक्टर से मिलें।
    • ठंड से बचाव बहुत जरूरी है, इसके लिए पर्याप्त कपड़े पहनें, वह ठंडी हवाओं में देर तक न रहें।
    • बच्चों को एक से दो घंटे मैदान में खेलने के लिए प्रेरित करें, टीबी-मोबाइल का इस्तेमाल सीमित करें।
    • नियमित स्नान व बार-बार हाथ को साबुन से धोने को आदतों में शामिल करें।

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