Bihar News : आरक्षण बढ़ाने पर पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से मांगा जवाब, दलील सुनकर दिए इतने दिन
Patna High Court आरक्षण में वृद्धि कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने इसपर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश राजीव रॉय की खंडपीठ ने गौरव कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार से अगले वर्ष 12 जनवरी तक जवाब मांगा है।

राज्य ब्यूरो, पटना। आरक्षण में वृद्धि कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने इसपर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश राजीव रॉय की खंडपीठ ने गौरव कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार से अगले वर्ष 12 जनवरी तक जवाब मांगा है।
महाधिवक्ता पीके शाही ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह के तकनीकी मुद्दे को लोकहित याचिका के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती है।
याचिकाकर्ता एक्ट की वैधता को चुनौती दे सकते हैं, लेकिन लोकहित याचिका के माध्यम से नहीं। 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा बहस का मुद्दा है।
याचिकाकर्ता एवं सरकार के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।
मालूम हो कि बिहार विधान मंडल ने बिहार आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ी जाति) संशोधन अधिनियम-2023 और बिहार (शिक्षण संस्थानों में प्रवेश) आरक्षण संशोधन अधिनियम-2023 पारित किया था।
राज्यपाल ने इसपर 18 नवंबर को अपनी सहमति दी थी और राज्य सरकार ने 21 नवंबर को गजट में इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी थी।
याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन जाति आधारित सर्वे के आधार पर किया गया है। उसमें अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा व अत्यंत पिछड़ा वर्ग जातियों की संख्या को 63.13 प्रतिशत बताया गया।
जबकि इनके लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा पारित संशोधित अधिनियम भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सरकार के विरोधियों की साजिश नाकाम: चौधरी
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि नीतीश सरकार के विरोधियों की एक और साजिश नाकाम हुई। जाति आधारित गणना के आधार पर दलित एवं पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण की सीमा पिछले विधानसभा सत्र में अधिनियम बनाकर बढ़ाई गई।
कुछ लोग जो सरकार के साथ इन वर्गों के हितों के भी विरोधी हैं, शुरू से ही साजिश में लगे रहे हैं। भाजपा के एक बड़े नेता ने घोषणा की थी कि इस कानून को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी और तत्काल इसे चुनौती दी गई।
हाई कोर्ट के कानून पर रोक से इन्कार से साजिश नाकाम हो गई। चौधरी ने कहा कि आने वाले समय में और लोग भी बेनकाब होंगे, जो पर्दे के पीछे से गरीबों की हकमारी में लगे रहते हैं।
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