Patna High Court: रिटायरमेंट की डेट नहीं छीन सकती अधिकार, मिलेगा ‘काल्पनिक वेतन वृद्धि’ का पूरा लाभ
पटना उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारी भी वार्षिक वेतन वृद्धि के हकदार हैं, जो अगले दिन देय होती है। अदालत ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखा। न्यायालय ने कहा कि सेवा की पूर्ण अवधि के बाद वेतन वृद्धि से वंचित करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, और याचिकाकर्ताओं की पेंशन पुन:निर्धारित करने का आदेश दिया।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले से यह तय किया कि 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारी अगले दिन देय वार्षिक वेतन वृद्धि के हकदार हैं।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सुधीर सिंह और न्यायाधीश राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
राज्य सरकार ने एकलपीठ द्वारा 2 फरवरी 2024 को पारित निर्णय के खिलाफ अपील दायर किया था, जिसमें जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त जूनियर इंजीनियरों—प्रफुल्ल चंद्र चौधरी सहित छह याचिकाकर्ताओं को सेवा की पूर्ण अवधि के आधार पर नोशनल इंक्रीमेंट (काल्पनिक वेतन वृद्धि ) देकर उनकी अंतिम वेतन गणना एवं पेंशन पुनर्निश्चित करने का निर्देश दिया था।
सरकार की ओर से दलील दी गई कि 30 जून को सेवानिवृत्त कर्मचारी 1 जुलाई को सेवा में नहीं रहते, इसलिए वे नियमानुसार वेतन वृद्धि के पात्र नहीं हैं।
हालांकि, खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2023) और अन्य निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि किसी कर्मचारी द्वारा एक वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण करने के बाद केवल तकनीकी तिथि के आधार पर वृद्धि से वंचित करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।
अदालत ने पाया कि एकलपीठ का आदेश विधिसंगत है और उसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। परिणामस्वरूप, राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी गई और आदेश दिया गया कि याचिकाकर्ताओं की पेंशन पुनर्निश्चित करने में काल्पनिक वेतन वृद्धि को शामिल किया जाए।
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