पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, चोरी गई गाड़ी शराब मामले में जब्त करना अवैध, 10,000 मुकदमा खर्च देने का आदेश
पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि चोरी हुई गाड़ी को शराब मामले में शराब से जुड़े केस में जब्त करना गैरकानूनी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को मुकदमे के खर्च के तौर पर 10,000 रुपये देने का भी आदेश दिया। यह फैसला वाहन जब्ती की वैधता पर सवाल उठाता है।

पटना हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने बिहार मद्यनिषेध कानून के तहत जब्त अली अशरफ सिद्दीकी की गाड़ी पर कार्रवाई को अवैध ठहराते हुए वाहन को तीन दिनों के भीतर छोड़ने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद और न्यायाधीश सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने कहा कि जब वाहन चोरी होने की प्राथमिकी दर्ज है और मालिक की संलिप्तता का कोई साक्ष्य नहीं मिलता, जब्ती या दंडात्मक कार्रवाई विधिसम्मत नहीं कही जा सकती।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश चंद्र मिश्रा और नुरुल होदा ने अदालत को बताया कि वाहन छह मई 2024 को चोरी हो गया था और लगभग डेढ़ महीने बाद विदेशी शराब के साथ बरामद हुआ। चोरी की प्राथमिकी में यह स्पष्ट है कि वाहन मालिक का इससे कोई संबंध नहीं है।
वाहन मालिक की भूमिका संदिग्ध नहीं
इसके बावजूद जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिवान ने दंड जमा कराने का निर्देश दिया तथा वाहन की नीलामी प्रक्रिया आगे बढ़ाने को कहा, जिसे अपीलीय अधिकारी ने भी बरकरार रखा। खंडपीठ ने इस निर्णय को कानून के विरुद्ध बताते हुए कहा कि सुनैना बनाम बिहार राज्य (2023) में यह सिद्धांत स्थापित किया जा चुका है कि जब वाहन मालिक की भूमिका संदिग्ध नहीं है, तब जब्ती/कुर्की की कार्रवाई नहीं की जा सकती।
राज्य की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने भी स्वीकार किया कि चोरी के मामले में याचिकाकर्ता की कोई संलिप्तता सामने नहीं आई है। अदालत ने न केवल दोनों आदेशों को निरस्त किया, बल्कि राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को 10,000 मुकदमा-खर्च के रूप में भुगतान करने का निर्देश दिया। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि राज्य चाहे तो उक्त राशि दोषी अधिकारियों से वसूल कर सकता है।

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