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    Bihar: असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) भर्ती पर पटना HC का बड़ा फैसला, BPSC को 90 दिनों में करना होगा ये काम

    Updated: Fri, 07 Feb 2025 08:04 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग को सहायक अभियंता (सिविल) भर्ती की अंतिम चयन सूची पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 90 दिनों के भीतर अनारक्षित श्रेणी के लिए कट-ऑफ अंक दोबारा निर्धारित करने का निर्देश दिया जबकि पहले से नियुक्त अभियंताओं की सेवा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बीपीएससी के तर्कों को खारिज करते हुए कोर्ट ने चयन प्रक्रिया में सुधार के लिए आदेश दिया।

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    असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) भर्ती पर पटना HC का बड़ा फैसला, BPSC को 90 दिनों में करना होगा ये काम

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा जारी सहायक अभियंता (सिविल) भर्ती की अंतिम चयन सूची पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने आदेश दिया है कि 90 दिनों के भीतर अनारक्षित श्रेणी के लिए कट-ऑफ अंक दोबारा निर्धारित किए जाएं।

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    हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पहले जारी की गई मेधा सूची के आधार पर विभिन्न विभागों में नियुक्त किए गए अभियंताओं की सेवा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

    56 पन्नों का आदेश जारी

    न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने अंकित कुमार शुक्ला समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई के बाद 56 पृष्ठों का आदेश जारी किया। इस आदेश में नई चयन सूची तैयार करने और योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

    कोर्ट ने खारिज किए बीपीएससी के तर्क

    कोर्ट ने बीपीएससी के सभी तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि विज्ञापन संख्या 03/2017 और विज्ञापन संख्या 02/2017 अलग-अलग पदों के लिए जारी किए गए थे। दोनों विज्ञापनों की शैक्षणिक आवश्यकताएं, प्रारंभिक परीक्षा, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और परिणाम की तिथियां पूरी तरह से अलग थीं।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि विज्ञापन संख्या 03/2017 के तहत चयन प्रक्रिया बीपीएससी की 20 फरवरी 2021 की अधिसूचना से बहुत पहले ही पूरी हो चुकी थी, इसलिए दोनों को जोड़कर निर्णय लेना तर्कसंगत नहीं था। कोर्ट ने यह भी पाया कि विज्ञापन संख्या 02/2017 के तहत विभिन्न विभागों में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों से उनकी वरीयता मांगी गई थी।

    'लापरवाही के कारण खाली रह गए 140 पद'

    आरक्षित श्रेणी के मेधावी उम्मीदवारों को उनके चुने हुए विभाग में नियुक्त किया जाना चाहिए था, जिससे आरक्षित श्रेणियों की रिक्त सीटों पर अनारक्षित अभ्यर्थी स्वतः ही चयनित हो जाते और कट-ऑफ अंक स्वतः ही कम हो जाता, लेकिन लापरवाही के कारण लगभग 140 पद खाली रह गए।

    इस गड़बड़ी को सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के आधार पर हाई कोर्ट ने 90 दिनों के भीतर चयन सूची की समीक्षा करने का आदेश दिया। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले से नियुक्त किसी भी अभियंता की नौकरी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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