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    Patna High Court: अवैध सबूत के आधार पर हुई थी सजा, 7 साल बाद हत्या मामले में सजायाफ्ता बरी

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 03:35 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने अररिया जिले के हत्या मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे विजय कुमार यादव को सात वर्ष बाद बरी कर दिया। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को ...और पढ़ें

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    अवैध सबूत के आधार पर हुई थी सजा, 7 साल बाद हत्या मामले में सजायाफ्ता बरी

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने अररिया जिले के हत्या मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे विजय कुमार यादव उर्फ विवेक उर्फ गोलू को सात वर्ष से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद बरी कर दिया है।

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    न्यायाधीश बिबेक चौधरी और न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की खंडपीठ ने अररिया ट्रायल कोर्ट के 11 अप्रैल 2018 के दोषसिद्धि आदेश और 17 अप्रैल 2018 के सजा आदेश को रद करते हुए कहा कि पूरा मामला अवैध और अप्रमाणिक साक्ष्यों पर आधारित था।

    अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 23 दिसंबर 2016 को एक अज्ञात शव बरामद हुआ, जिसकी पहचान बाद में नियाज अहमद के रूप में हुई। जांच के दौरान मृतक के एटीएम कार्ड से रकम निकासी, ज्वेलरी खरीद और कथित स्वीकारोक्ति के आधार पर अभियुक्त को हत्या व साक्ष्य छुपाने का दोषी ठहराया गया।

    अदालत ने टिप्पणी की कि ट्रायल कोर्ट ने पुलिस के समक्ष कथित स्वीकारोक्ति को साक्ष्य मान लिया, जबकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 और 26 के तहत पुलिस के सामने की गई स्वीकारोक्ति पूर्णतः अस्वीकार्य है।

    हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि कथित बरामदगी के गवाहों ने अभियोजन का समर्थन नहीं किया। खंडपीठ ने कहा कि एटीएम लेनदेन, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बिना धारा 65-बी के प्रमाण-पत्र के पेश किए गए, जिससे वे कानूनन अमान्य हो गए।

    इसके अलावा, जिन व्यक्तियों पर मृतक के परिजनों ने संदेह जताया था, उनकी भूमिका की जांच भी नहीं की गई। इन सभी खामियों के आधार पर अदालत ने अपील स्वीकार करते हुए आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

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