Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भागलपुल कोर्ट का फैसला रद, पॉक्‍सो के सजायाफ्ता को पटना हाईकोर्ट ने कि‍या बरी, क्‍या बताया कारण?

    By Pratyush Pratap Singh Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Tue, 16 Dec 2025 06:21 PM (IST)

    पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर कोर्ट के पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। अदालत ने फैसले को रद्द करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आ ...और पढ़ें

    Hero Image

    पॉक्‍सो एक्‍ट के सजायाफ्ता को कोर्ट ने क‍िया रिहा। सांकेत‍िक तस्‍वीर

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा पाए सजायाफ्ता पवन कुमार मंडल को बड़ी राहत देते हुए निचली अदालत द्वारा पारित दोषसिद्धि और सजा के आदेश को रद कर दिया है।

    न्यायाधीश बिबेक चौधरी और न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की खंडपीठ ने कहा कि पोक्सो जैसे विशेष कानून के मामलों में अभियोजन का दायित्व है कि वह पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम होने को विधि सम्मत और ठोस साक्ष्यों से सिद्ध करे, जिसमें वह विफल रहा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने स्पष्ट किया कि उम्र निर्धारण के लिए प्राथमिक साक्ष्य जैसे स्कूल प्रमाण पत्र, मैट्रिक या जन्म प्रमाण पत्र एकत्र नहीं किए गए। ऐसे में केवल ऑसिफिकेशन टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता को नाबालिग ठहराना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इस परीक्षण में एक-दो वर्ष तक का अंतर संभव होता है।

    लंबे समय तक दोनों में रहे प्रेम संबंध 

    संदेह की स्थिति में लाभ अभियुक्त को दिया जाना न्याय का स्थापित सिद्धांत है। खंडपीठ ने साक्ष्यों का मूल्यांकन करते हुए यह भी पाया कि दोनों के बीच लंबे समय तक प्रेम संबंध रहे और शारीरिक संबंध सहमति से बने थे।

    ग्रामीणों द्वारा दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखे जाने की गवाही भी रिकॉर्ड पर थी। मेडिकल जांच में हालिया जबरदस्ती के कोई स्पष्ट निशान नहीं मिले।

     

    कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि केवल संबंध टूटने या विवाह न होने मात्र से सहमति-आधारित संबंध को आपराधिक रंग नहीं दिया जा सकता।

    इन परिस्थितियों में अभियोजन आरोप सिद्ध करने में असफल रहा। परिणामस्वरूप ट्रायल कोर्ट, भागलपुर का 2019 का निर्णय निरस्त करते हुए हाई कोर्ट ने अभियुक्त की तत्काल रिहाई का आदेश दिया।