11 साल पुराने मामले में बीमा कंपनी को HC से झटका, देना होगा मुआवजा, जुर्माना की भी चेतावनी
पटना उच्च न्यायालय ने 11 वर्ष पुराने एक मामले में बीमा कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए मुआवजे की राशि देने का आदेश दिया है। अदालत ने कंपनी को जुर्मा ...और पढ़ें

ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की अपील खारिज।
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के आश्रितों को दिए गए मुआवजे के खिलाफ दायर ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की अपील को खारिज कर दी है।
न्यायाधीश जितेंद्र कुमार की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि जब दावा करने वाले पक्ष ने वाहन की संलिप्तता और बीमा को प्रमाणों के माध्यम से साबित कर दिया हो, तो बीमा कंपनी बिना ठोस साक्ष्य के अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।
हादसे में हो गई थी मौत
यह मामला 31 जनवरी 2014 का है। अशरफी राय बाढ़ से अपने घर टेंपो से लौट रहे थे। इसी दौरान गांव दहौर के पास एक पिकअप वैन ने लापरवाही से टेंपो को टक्कर मार दी, जिससे अशरफी राय गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
घटना के बाद बाढ़ थाना कांड संख्या 36/2014 दर्ज की गई और पुलिस जांच के बाद पिकअप वैन के चालक के खिलाफ आरोप-पत्र भी दाखिल किया गया।
मृतक की पत्नी और अन्य स्वजनों ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में मुआवजे की मांग की थी। सुनवाई के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश–सह–मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, पटना ने 22 सितंबर 2017 को बीमा कंपनी को 7.32 लाख रुपये मुआवजा 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने खारिज किया दावा
बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता दुर्गेश सिंह ने हाई कोर्ट में दलील दी कि संबंधित वाहन की संलिप्तता संदिग्ध है और यह ‘हिट एंड रन’ का मामला है।
कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि बीमा पॉलिसी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफआईआर और प्रत्यक्षदर्शी के बयान से यह सिद्ध होता है कि दुर्घटना में वही वाहन शामिल था और घटना की तिथि पर उसका बीमा प्रभावी था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि बीमा कंपनी ने न तो ट्रिब्यूनल के समक्ष कोई गवाह पेश किया और न ही अपने दावों के समर्थन में कोई दस्तावेज दिया। अदालत ने अपील खारिज करते हुए निर्देश दिया कि बीमा कंपनी दो माह के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान करे।निर्धारित समय में भुगतान नहीं होने की स्थिति में 12 प्रतिशत दंडात्मक ब्याज देना होगा।

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