पटना के डीएम और एसपी सहित चार वरीय अधिकारियों पर हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। मामला शराबबंदी से जुड़ा है। अधिकारियों ने मनमाने तरीके से बगैर किसी सबूत के शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के बाद आरोपित मानते हुए पटना बाईपास (रामकृष्ण नगर) में स्थित एक व्यक्ति के मकान को सील करके उसे राज्यसात करने का आदेश दिया था।
By Edited By: Mukul KumarUpdated: Sat, 16 Sep 2023 09:32 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी कानून का दुरुपयोग कर एक गोदाम की मालकिन को प्रताड़ित करने के मामले में मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव सहित अन्य आला अधिकारियों पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
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न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने सुनीता सिन्हा की रिट याचिका को स्वीकृति देते हुए शुक्रवार को यह आदेश दिया। अर्थदंड की रकम अपर मुख्य सचिव के साथ राज्य के उत्पाद आयुक्त, पटना के डीएम और एसएसपी सहित अन्य अधिकारियों को याचिकाकर्ता को देनी है।
बिना सबूत मकान को कर दिया सील
कोर्ट ने पाया कि सभी अधिकारियों ने मनमाने तरीके से बगैर किसी सबूत के याचिकाकर्ता को शराबबंदी कानून तोड़ने का आरोपित मानते हुए पटना बाईपास (रामकृष्ण नगर) में स्थित उसके मकान को सील करके उसे राज्यसात करने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ता धनबाद में रहती हैं। 2020 में याचिकाकर्ता के मकान में जो हिस्सा गोदाम के रूप में किराए पर लगा हुआ था, उसमें उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा और पुलिस के साथ सौ मिली लीटर शराब की एक बोतल को जब्त किया था।
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सचिव ने लगाया था 10 लाख का जुर्माना
पुलिस साबित नहीं कर पाई कि उक्त शराब की बरामदगी में याचिकाकर्ता का कोई हाथ था। इसके बाद भी सुनीता के मकान को राज्यसात करने का आदेश पटना के जिलाधिकारी ने दिया।
उन्होंने जब उत्पाद आयुक्त के समक्ष अपील की तो वह खारिज हुई और तो और अपर मुख्य सचिव के समक्ष जब सुनीता ने रिवीजन दायर किया तो शराबबंदी कानून के तहत उसे मकान को राज्यसात से मुक्त करने की एवज में सचिव ने 10 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया।
इसके बाद सुनीता ने हाई कोर्ट के समक्ष जिलाधिकारी, उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव के आदेशों को कानूनी चुनौती दी थी।
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हाई कोर्ट की टिप्पणी
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह तय किया कि शराबबंदी कानून के कई प्रविधान बहुत सख्त है, जिसका उपयोग अधिकारी मनमाने रूप से करते हैं।
- एक तार्किक दिशा निर्देश के अभाव में उत्पाद विभाग के अधिकारी मनमानी तरीके से शराबबंदी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं।
- यदि किसी सरकारी क्वार्टर के अंदर शराब की एक बोतल पाई जाएगी तो क्या सरकार अपने ही क्वार्टर को सील करने के लिए आगे आएगी?
- किस तार्किक आधार पर अपर मुख्य सचिव ने मकान को मुक्त करने के लिए 10 लाख रुपये का पेनल्टी लगाया?
- एक ही जुर्म के लिए कहीं एक लाख तो कहीं 10 लाख रुपये जुर्माना, ऐसा मनमानापन क्यों?
- हम यहां शराबबंदी कानून की कमियों को उजागर करने के लिए नहीं बैठे हैं।
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