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पटना हाईकोर्ट की दो टूक- बिहार में शराबबंदी कानून का हो रहा दुरुपयोग, कहीं यह सस्‍ती लोकप्रियता के लिए तो नहीं

पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून का दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट ने कड़ी सजा पर भी उठाया सवाल।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 07:17 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 10:22 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट की दो टूक- बिहार में शराबबंदी कानून का हो रहा दुरुपयोग, कहीं यह सस्‍ती लोकप्रियता के लिए तो नहीं
पटना हाईकोर्ट की दो टूक- बिहार में शराबबंदी कानून का हो रहा दुरुपयोग, कहीं यह सस्‍ती लोकप्रियता के लिए तो नहीं

पटना, राज्य ब्यूरो। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून का दुरुपयोग हो रहा है। गांधीजी तरह कोई बदलाव लाना अच्छी बात है, लेकिन कानून की सजा इतनी बड़ी नहीं होनी चाहिए। वे शुक्रवार को शराब पीने के आरोप में बंद लोगों की जमानत के मामले की सुनवाई कर रहे थे। जस्टिस उपाध्याय की एकल पीठ ने एक साथ जमानत के 40 मामलों की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून कहीं सस्ती लोकप्रियता के लिए तो नहीं था।

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सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने सवाल किया- जिसे शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है, क्या उसके द्वारा उपयोग की गई बोतलों में मिले कथित शराब का विधि विज्ञान प्रयोग शाला में जांच की जाती है? केवल ब्रेथ एनालाइजर से जांच करना काफी नहीं है। जिस बोतल के आधार पर किसी को पकड़ा जाता है, उस बोतल में मिले द्रव्य की भी जांच होनी चाहिए। 

न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने अपर मुख्य सचिव और उत्पाद आयुक्त की उपस्थिति में एक साथ सभी अभियुक्तों को जमानत देने की बात कही, लेकिन बाद में इन मामलों को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया गया। एकल पीठ ने उत्पाद विभाग को बताने को कहा कि जिन 40 मामलों की सुनवाई होनी है, उसमें से शराब पीने वाले कितने अभियुक्तों के बोतलों की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच हुई। उत्पाद विभाग यह जानकारी चार मार्च को दे। उस दिन मामले की सुनवाई होगी।

इससे पहले राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि बड़ी संख्या में बोतलों और पॉलिथिन को नष्ट कर दिया गया है। यह ऐसा पक्ष है, जिससे शराबियों को राहत मिल सकती है। कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून कहीं प्रचार-प्रसार और सस्ती लोकप्रियता के लिए तो नहीं था। इस कानून से भले लोकप्रियता मिली होगी, लेकिन इसका दुरुपयोग हो रहा है। कानून बनाने के समय सभी पक्षों का ध्यान रखा जाना चाहिए। 


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