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    Bihar: रिटायर्ड IAS अफसर शिवशंकर वर्मा को पटना HC से झटका, CM नीतीश से जुड़ा है मामला

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 07:50 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शिवशंकर वर्मा की याचिका खारिज कर दी है। वर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रतिवादी बनाने और नोटिस जारी करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि वर्मा को कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सेवा से बर्खास्त किया गया था। मुख्यमंत्री को इस मामले में प्रतिवादी बनाना तथ्यात्मक रूप से गलत और निराधार है।

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    रिटायर्ड IAS अफसर शिवशंकर वर्मा को पटना HC से झटका, CM नीतीश से जुड़ा है मामला

    विधि संवाददाता, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को प्रतिवादी बनाने और नोटिस जारी करने की मांग को लेकर दायर याचिका में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शिवशंकर वर्मा (Retired IAS Shiv Shankar Verma) को पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) से कोई राहत नहीं मिली।

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    न्यायाधीश पीबी. बजनथ्री और न्यायाधीश आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद वर्मा की याचिका को निरस्त कर दिया। हालांकि, हाई कोर्ट ने 50 हजार रुपये के हर्जाने को घटाकर 10 हजार रुपये कर दिया, जिसे मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराने का निर्देश दिया गया है।

    शिवशंकर वर्मा के विरुद्ध 2007 में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। उस दौरान उनके आवास से सोने के बिस्किट, सोने की छड़ें और भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। जांच के बाद उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज हुआ और विभागीय जांच के बाद उन्हेंं सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

    कैट ने किया था आवेदन निरस्त:

    बर्खास्तगी के विरुद्ध वर्मा ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की पटना पीठ में याचिका दायर की, जो अभी लंबित है। इसी मामले में उन्होंने एक आवेदन देकर मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाने और नोटिस जारी करने का अनुरोध किया। हालांकि, कैट ने उनके आवेदन को 50 हजार रुपये हर्जाने के साथ निरस्त कर दिया।

    वर्मा ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और स्वयं बहस करते हुए कैट के निर्णय को रद करने और मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाने की मांग की।

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    'मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनान गलत और निराधार'

    महाधिवक्ता पीके. शाही ने कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वर्मा को कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत ही सेवा से बर्खास्त किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि मुख्यमंत्री को इस मामले में प्रतिवादी बनाना तथ्यात्मक रूप से गलत और निराधार है।

    केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता अवधेश कुमार पांडेय ने भी कैट के निर्णय को उचित ठहराते हुए हाई कोर्ट से वर्मा की याचिका निरस्त करने की मांग की। हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाने की मांग को पूरी तरह निराधार माना और वर्मा को कोई राहत नहीं दी।

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