पटना हाई कोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर लिया स्वतः संज्ञान, राज्य सरकार और प्रदूषण बोर्ड से किया जवाब तलब
पटना हाई कोर्ट ने शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है। य ...और पढ़ें

पटना हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने राजधानी सहित राज्य में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पूछा है कि वायु प्रदूषण के वास्तविक कारण क्या हैं और विभिन्न स्रोतों- वाहन, धूलकण, निर्माण कार्य और अन्य कारणों का प्रदूषण में कितना योगदान है। अदालत ने टिप्पणी की कि केवल वाहनों से इतना प्रदूषण संभव नहीं है कि आमजन स्वच्छ हवा में सांस न ले सकें।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सुधीर सिंह और न्यायाधीश आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने वायु प्रदूषण पर प्रकाशित खबरों का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। कोर्ट मित्र के रूप में नियुक्त वरीय अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रदूषण के कारणों पर कोई ठोस अध्ययन या निष्कर्ष सामने नहीं रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 15 वर्ष पुरानी गाड़ियों के परिचालन पर प्रतिबंध से यदि प्रदूषण कम होता, तो अब तक इसका असर दिखता, जबकि स्थिति और खराब हुई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता शिवेंद्र किशोर ने बताया कि सीएनजी, पीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की सलाह सरकार को दी गई है।
वहीं, सरकारी वकील विकास कुमार ने कहा कि प्रतिदिन पानी का छिड़काव किया जा रहा है, पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध है और डीजल वाहनों को सीएनजी में परिवर्तित किया जा रहा है।
कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या प्रदूषण के स्रोतों को लेकर कोई वैज्ञानिक सर्वे किया गया है ? इस संबंध में पूरी जानकारी दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने अगली सुनवाई 12 जनवरी को तय की है।
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