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    ED Action In Bihar: बुरी तरह फंसे बिहार सरकार के सीनियर अफसर, रिश्वत लेकर ठेके देने का आरोप

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 08:47 PM (IST)

    भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ईडी ने उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के लिए विशेष निगरानी विभाग को पत्र लिखा है। छापे में करोड़ों की नकदी बरामद हुई। आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार रिशुश्री की कंपनियों को रिश्वत लेकर ठेके दिए थे।

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    वित्त विभाग के संयुक्त सचिव के खिलाफ चलेगा भ्रष्टाचार का केस

    राज्य ब्यूरो, पटना। भ्रष्टाचार के मामले में फंसे वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने चौधरी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए विशेष निगरानी विभाग को एक पत्र भेजा है।

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    भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास के साथ ही मुमुक्षु चौधरी समेत अन्य अधिकारियों के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने इस वर्ष मार्च में छापा मारा था। इस कार्रवाई में करोड़ों की नकदी बरामद की गई थी और दस्तावेज भी बरामद हुए थे।

    सूत्रों के अनुसार, मुमुक्षु चौधरी के संबंध विवादित ठेकेदार रिशुश्री से बताए जाते हैं। सूत्रों की माने तो सीतामढ़ी और सहरसा में पदस्थापन के दौरान मुमुक्षु ने रिशुश्री की कंपनियों को रिश्वत के बदले करोड़ रुपये के ठेके आवंटित किए थे।

    सूत्रों के माने तो ईडी ने जो प्रस्ताव भेजा है उसमें यह बात आ रही है कि मुमुक्षु चौधरी ने सहरसा के म्युनसिपल कमीश्नर के पद पर रहते हुए लाखों रुपये रिशुश्री के मार्फत अन्य अधिकारियों को दिए गए। मुमुक्षु चौधरी के पहले तारिणी दास पर कार्रवाई के लिए ईडी ने विशेष निगरानी इकाई को लिखा था।

    बिहार राज्य पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक से जवाब तलब

    दूसरी ओर, पटना हाईकोर्ट ने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पर सेवा संबंधित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ अब तक नहीं बनाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “जब आप बिहार सरकार के सभी नियमों को मानते हैं, तो फिर आज तक सर्विस ग्रीवांस रेड्रेसल सेल क्यों नहीं बनाया गया?”

    उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों की ऐसी लापरवाही के कारण न्यायालय पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। कोर्ट ने कंपनी को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह टिप्पणी न्यायालय ने याचिकाकर्ता प्रतिभा कुमारी सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को असिस्टेंट कंट्रोलर आफ स्टोर के पद पर प्रोन्नति नहीं दी गई, जबकि उनसे कनिष्ठ कर्मी को इस पद पर पदोन्नत कर दिया गया।

    अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता वरीयता सूची में ऊपर थीं, लेकिन उन्हें जानबूझकर नीचे कर दिया गया, जिससे उन्हें प्रोन्नति से वंचित होना पड़ा। याचिका में 20 दिसंबर, 2023 को जारी वरीयता सूची को रद्द करने की मांग की गई है और कहा गया है कि नयी वरीयता सूची निष्पक्ष ढंग से बनाई जाए।