बिहार के छह हवाई अड्डों का होगा कायाकल्प, एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ सरकार ने किया समझौता
बिहार सरकार ने उड़ान योजना के तहत छह हवाई अड्डों के विकास के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ समझौता किया है। इस समझौते से राज्य में हवाई संपर्क मजबूत होगा और निवेश के नए अवसर खुलेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस परियोजना के पहले चरण के लिए 150 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार सरकार ने उड़ान योजना के तहत चयनित छह हवाई अड्डों के विकास के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ समझौता किया है। सोमवार को दिल्ली में राज्य के मुख्य सचिव अमृत लाल मीना की मौजूदगी में बिहार सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इस दौरान दिल्ली स्थित बिहार के स्थानिक आयुक्त कुंदन कुमार भी मौजूद थे। बिहार के निदेशक नागरिक विमानन नीलेश देवरे ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि यह समझौता बिहार में क्षेत्रीय संपर्कता को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। इससे जहां राज्य में यातायात संरचना मजबूत होगी, वहीं निवेश और विकास के नए द्वार भी खुलेंगे।
स्थानिक आयुक्त कुंदन कुमार ने कहा, नई दिल्ली स्थित बिहार निवास संवाद और समन्वय का केंद्र बन रहा है। यह समझौता बिहार की क्षेत्रीय हवाई सेवा को नई ऊंचाई देने वाला है और केंद्र व राज्य के बीच चल रहे कार्यों को मजबूती देगा।
प्रस्ताव को कैबिनेट ने दी मंजूरी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में मधुबनी, बीरपुर (सुपौल), मुंगेर, वाल्मीकि नगर (पश्चिम चंपारण), मुजफ्फरपुर और सहरसा में छोटे हवाई अड्डों के विकास की योजना को मंजूरी दी गई। बैठक में परियोजनाओं के पहले चरण के लिए 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि को भी मंजूरी दी गई।
उड़े देश का आम नागरिक
आपको बता दें कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के अनुरूप है। जिसका उद्देश्य किफायती हवाई यात्रा के माध्यम से क्षेत्रों को जोड़ना है। अगले पांच वर्षों में देश में 50 और हवाई अड्डों को जोड़ने की योजना है। जिसके चलते 2047 तक 350 से अधिक हवाई अड्डों का लक्ष्य रखा गया है।
इन नियोजित हवाई अड्डों पर 19 सीटर विमान चलेंगे, जिससे बिहार के सुदूर क्षेत्रों तक हवाई यात्रा की पहुंच में काफी सुधार होगा। उन जिलों में पर्यटन, व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे जहां अब तक हवाई सुविधाएं नहीं थीं।
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