पटना में प्रशासन के आदेश को ठेंगा, प्रतिबंध के बाद भी ऑटो में ठूंस-ठूंसकर बच्चों को ले जा रहे स्कूल
पटना में प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद ऑटो में बच्चों को ठूंस-ठूंसकर ले जाया जा रहा है। यह बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। कई बार ओवरलोडेड ऑटो दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद भी ऑटो चालक क्षमता से ज्यादा बच्चों को बिठाकर चलते हैं। ओवरलोडेड ऑटो चालकों के खिलाफ बरती जा रही सख्ती से अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है।
जागरण संवाददाता, पटना। ऑटो से बच्चों को स्कूल पहुंचाने पर प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक से बड़ी संख्या में बच्चे और अभिभावक प्रभावित हुए हैं। अचानक बदली व्यवस्था से सभी परेशान हैं। गुरुवार को भी अभिभावक बच्चों को दोपहिया, कार आदि साधनों से स्कूल लेकर जाते दिखाई दिए।
बच्चे सामान्य रिक्शे से भी स्कूल पहुंचे। कुछ लोगों ने ऑटो में अभिभावकों के साथ जाने पर दी जाने वाली छूट का भी उपयोग किया।
बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे ओवरलोड ऑटो
हालांकि, राजधानी की सड़कों पर ओवरलोडेड ऑटो दुर्घटना को न्योता देते रहे। ये कहां, कब और कैसे दुर्घटना के शिकार हो जाएं, कहना मुश्किल है। कई बार ओवरलोडेड ऑटो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुए हैं। सामान्य तौर पर ऑटो से ही बच्चे स्कूल आते-जाते हैं।
ऑटो जरूरत, लेकिन सुरक्षा का ध्यान रखा जाए
खासकर गलियों में चलाए जा रहे छोटे-छोटे स्कूलों में आने-जाने का मुख्य माध्यम ऑटो ही है। पर इनके चालकों द्वारा बरती जाने वाली असावधानी कई बार बच्चों के लिए काल साबित हुई है। ओवरलोडेड ऑटो चालकों के खिलाफ बरती जा रही सख्ती से अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है।
स्कूल प्रशासन एवं अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन इसे नियंत्रित कर संचालन की अनुमति प्रदान करें। अभिभावकों का कहना है कि ऑटो समय की जरूरत है, लेकिन बच्चों के लिए काल न साबित हो। वर्तमान में राजधानी की सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोडेड ऑटो से कब बच्चा कहां गिरकर घायल हो जाए कहना मुश्किल है।
अभिभावकों ने दी प्रतिक्रिया
पाटलिपुत्र निवासी एवं अभिभावक सुधा कुमारी का कहना है कि पाटलिपुत्र कॉलोनी में कई छोटे-छोटे स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। यहां पढ़ने के लिए काफी बच्चे आते हैं। उन बच्चों को आना-जाना ऑटो से होता है। ऑटो चालकों का एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक बच्चों को बैठाना होता है।
वे बच्चों की सुरक्षा पर जरा भी ध्यान नहीं देते। ऐसे में जहां भी सड़क खराब होती है और ऑटो हिचकोले लेता है बच्चे गिर जाते हैं। सड़कों पर मौजूद स्पीड ब्रेकर भी कई बार दुर्घटना का कारण बने हैं।
बोरिंग रोड निवासी अभिषेक सिन्हा का कहना है कि बोरिंग रोड और आसपास के इलाके में काफी संख्या में स्कूल संचालित किया जा रहे हैं।
बोरिंग रोड के अलावा पुनाईचक, श्रीकृष्णापुरी, राजीवनगर, नेहरूनगर, कंकड़बाग, बाईपास के आसपास कई बड़े स्कूल हैं। इन स्कूलों के बच्चे भी ऑटो से आते-जाते हैं।
कंकड़बाग निवासी विशाल कुमार सिंह का कहना है कि ओवरलोडेड ऑटो से सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों का होता है, जो रात में नींद पूरी नहीं होने के कारण उसी में सो जाते हैं। कई बार इस तरह की तस्वीर सड़कों पर देखने को मिलती है।
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