शराबबंदी कानून के तहत जब्त वाहनों के मामले में पटना हाई कोर्ट का आया फैसला, गृह विभाग को मिला 6 महीने का समय
पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी कानूनों के तहत जब्त किए गए वाहनों के मामले में पुलिस को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पुलिस पर 50000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है क्योंकि उन्होंने वाहन मालिक को अनावश्यक रूपे से परेशान किया था। कोर्ट ने यह भी कहा है कि गृह विभाग को छह महीने के भीतर इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर उचित दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।

विधि संवाददाता, पटना। शराबबंदी एवं अन्य कानूनों के तहत जब्त किए गए वाहनों के मामले में पटना हाई कोर्ट ने पुलिस को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। इसके साथ वाहन मालिक को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए पुलिस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश एसबीपी सिंह की खंडपीठ ने संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि गृह विभाग छह महीने के भीतर इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर उचित दिशा-निर्देश जारी करे।
कानून की जानकारी के बिना गंभीर कदाचार का मामला
याचिकाकर्ता ने अपनी बजाज प्लेटिना मोटरसाइकिल को मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कोर्ट ने पाया कि केस के जांच अधिकारी ने कानून की जानकारी के बिना गंभीर कदाचार किया है। वाहन को जब्त कर उसे एक वर्ष से अधिक समय तक पुलिस ने रखा।
इसके अलावा संबंधित जिले के एसपी ने वाहन की जब्ती और विभागीय कार्यवाही की कोई समीक्षा नहीं की। इससे वाहन पुलिस थाने के परिसर में पड़ा रहा और उसका मूल्य कम हो गया।
वाहनों की जब्ती से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि गोपालगंज एसपी अपने अधीनस्थों को यह निर्देश दें कि बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम या अन्य किसी कानून के तहत वाहनों की जब्ती से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए।
जब्त किए गए वाहनों का अनावश्यक ढेर लगने और उन्हें धूप, धूल, वर्षा के संपर्क में रखने से उनके मूल्य में गिरावट आती है। पुलिस अधिकारियों द्वारा जब्त वाहनों का निजी उपयोग करना दुरुपयोग है।
वाहनों को उनके मालिक के पक्ष में निपटाया जाना चाहिए- कोर्ट
- कोर्ट ने गोपालगंज के एसपी को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में यह जांच करें कि कितने जब्त वाहन थानों में पड़े हैं। इन वाहनों को उनके मालिक के पक्ष में निपटाया जाना चाहिए या फिर उन्हें नीलाम किया जाना चाहिए।
- यदि वाहन मालिक, आरोपी, बीमा कंपनी या अन्य पक्षकार वाहन पर दावा नहीं करता है, तो मजिस्ट्रेट इसे नीलाम करने का आदेश दे सकता है।
- इस मामले में, कोर्ट ने वाहन मालिक को अनावश्यक रूप से परेशान करने पर 25,000 रुपये की क्षतिपूर्ति और 25,000 रुपये जुर्माने के रूप में देने का आदेश दिया। कुल 50,000 रुपये छह सप्ताह के भीतर वाहन मालिक को देने का निर्देश दिया गया है।
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