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KK Pathak: विश्वविद्यालयों में परीक्षा संचालन पर गहराया संकट, केके पाठक ने 15 मार्च को दिया था ये ऑर्डर

राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर संकाय के परीक्षाओं के संचालन पर संकट गहरा गया है और यह संकट शिक्षा विभाग द्वारा 15 मार्च को विश्वविद्यालयों के सभी प्रकार के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगाने के कारण हुआ। पुराने पाठ्यक्रम में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के पार्ट-टू और पार्ट-थ्री की परीक्षाओं के संचालन हेतु उत्तर पुस्तिकाओं की खरीदारी नहीं हो पा रही हैं।

By Dina Nath Sahani Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Tue, 16 Apr 2024 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2024 10:29 PM (IST)
राज्य के विश्वविद्यालयों में अब आया परीक्षाओं पर संकट (File Photo)

दीनानाथ साहनी, पटना। राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर संकाय के परीक्षाओं के संचालन पर संकट गहरा गया है। यह संकट शिक्षा विभाग द्वारा 15 मार्च को विश्वविद्यालयों के सभी प्रकार के बैंक खातों का संचालन पर रोक लगाने से हुआ है।

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पुराने पाठ्यक्रम में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के पार्ट-टू और पार्ट-थ्री की परीक्षाओं के संचालन हेतु उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद नहीं हो पा रही हैं। यही संकट स्नातकोत्तर के पुराने पाठ्यक्रम की विलंबित परीक्षाओं के संचालन में आ रही है।

ये है कारण

नए पाठ्यक्रम के पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं दिसंबर, 2023 में होनी थी, जिसे अप्रैल-मई में कराने की तैयारी हेतु उत्तर पुस्तिकाएं खरीद की प्रक्रिया शुरू होने वाली थी, लेकिन विश्वविद्यालयों के बैंक खातों को फ्रीज किये जाने से कॉपियां की खरीद प्रक्रिया अधर में लटक गई है।

ऐसी तमाम परेशानियों के संबंध में कई कुलपतियों ने राजभवन सचिवालय को सूचनाएं भेजी हैं। इसमें कई सेमेस्टर की परीक्षाओं का संचालन मजबूरन स्थगित किए जाने की सूचनाएं भी शामिल हैं।

10 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधेरे में

देखा जाए तो शिक्षा विभाग का एक आदेश ने राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर के दस लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं का भविष्य को अंधकारमय कर दिया है।

पटना विश्वविद्यालय एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. रासबिहारी सिंह ने कहा कि पिछले एक साल में राजभवन की ओर से उच्च शिक्षा में सुधार हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था।

शिक्षा विभाग के आदेश ने फेरा पानी

विलंबित सत्र एवं परीक्षाओं को बहुत हद तक नियमित किया गया था। इससे छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ समय पर परीक्षाएं और उसके रिजल्ट उपलब्ध हो रहे थे, लेकिन विभाग के आदेश ने विश्वविद्यालयों में सत्र सुधार के प्रयास पर पानी फेर दिया है।

सबसे चिंता की बात यह है कि शिक्षकों व कर्मचारियों को तीन माह से वेतन भुगतान नहीं हुआ है। सेवानिवृत्त शिक्षकों व कर्मियों और उनके आश्रितों को पेंशन भुगतान भी बंद कर दिया गया है, जबकि पटना उच्च न्यायालय का यह स्पष्ट आदेश है कि सेवानिवृत्त लोगों को पेंशन बंद नहीं कर सकते। यह तो न्यायालय के आदेश की भी अवमानना है।

बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का ऑनलाइन फॉर्म भरना भी स्थगित

राज्य के विश्वविद्यालयों में बीएड में नामांकन हेतु संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने का प्रविधान है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने इस परीक्षा को कराने की जिम्मेदारी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा को दे रखी है।

परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु राज्य भर से हर साल करीब सवा लाख विद्यार्थी ऑनलाइन फार्म भरते हैं। चूंकि विश्वविद्यालयों के बैंक खातों कोही फ्रीज कर दिया गया है। ऐसे में वित्तीय कामकाज एक माह से ज्यादा समय से ठप है।

ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया स्थगित

इसके चलते बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा, 2024 के लिए ऑनलाइन फार्म भरने की प्रक्रिया स्थगित कर दिया गया है। संबंधित विद्यार्थियों में यह चिंता है कि यदि समय से परीक्षा फार्म भराया तो बीएड का प्रवेश परीक्षा में देरी होगी और फिर सत्र भी विलंबित होगा।

शिक्षा विभाग का बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश के कारण पहले की परीक्षाओं की कापियों का मूल्यांकन का पारिश्रमिक भुगतान भी शिक्षकों को नहीं हुआ है। कई विश्वविद्यालयों में 18 से 22 अप्रैल के बीच स्नातक पार्ट दो और तीन की परीक्षाएं तय की गई हैं, जिसे मजबूरन स्थगित करना पड़ रहा है।

उधार के पैसे से घर-गृहस्थी चला रहे शिक्षक

पेंशन भुगतान नहीं होने से ऐसे बहुत से सेवानिवृत्त शिक्षक व कर्मचारी हैं जो उधार के पैसे जीवन निर्वाह कर रहे हैं। 78 वर्षीय पूर्व कुलपति केसी तिवारी ने बताया कि उनका घर-गृहस्थी पेंशन पर चलता है। उनके बच्चे बाहर रहते हैं। वे खुद बीमार हैं पर पैसे उधार लेकर इलाज करा रहे हैं।

इस उम्मीद में कि जब पेंशन मिलेगी तब कर्ज वापस कर देंगे। ललित नारायण मिथिला विवि के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त 80 वर्षीय डा. रामधारी सिंह दिवाकर ने बताया कि इस उम्र में पेंशन का संकट परेशान किए हुए है।

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