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    Bihar News: नीतीश सरकार ने निजी अस्पताल संचालकों को दे दी खुशखबरी, आ गया नया आदेश

    बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय शनिवार को बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन एवं ग्लोबल ऑर्थोपेडिक फोरम द्वारा आयोजित 11वें गोफकान के उद्घाटन समारोह में पहुंचे। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि निजी अस्पतालों को राहत देने के लिए क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों में संशोधन किया गया है। उन्होंने सभी सरकारी-निजी अस्पतालों से अनुरोध किया कि वे बढ़-चढ़कर आयुष्मान भारत योजना से जुड़ें।

    By Pawan Mishra Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 22 Mar 2025 10:11 PM (IST)
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    बिहार के अस्पताल संचालकों के लिए बड़ी खबर। (सांकेतिक फोटो जागरण)

    जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में निजी अस्पतालों को नीतीश सरकार ने राहत दी है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि निजी अस्पतालों को राहत देने के लिए क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों में संशोधन किया गया है।

    अब 40 से कम बेड वाले अस्पतालों को इस नियम के तहत पंजीयन नहीं कराना होगा। वहीं, 40 से अधिक बेड के अस्पतालों को भी हर वर्ष के बजाय अब हर पांच वर्ष पर निबंधन नवीनीकरण कराना होगा।

    बढ़-चढ़कर आयुष्मान भारत योजना से जुड़ें सरकारी और निजी अस्पताल

    इसके साथ ही उन्होंने सभी सरकारी-निजी अस्पतालों से अनुरोध किया कि वे बढ़-चढ़कर आयुष्मान भारत योजना से जुड़ें और गरीब रोगियों को सेवा प्रदान करें। साथ ही हर माह मुफ्त चिकित्सा शिविर का आयोजन कर स्क्रीनिंग करने वाली जांचें और रोग पर परामर्श दें।

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    इससे न केवल रोगों को शुरुआत में पहचाना जा सकेगा, बल्कि आमजन बचाव के प्रति जागरूक होंगे और स्वस्थ्य बिहार का सपना साकार होगा।

    11वें गोफकान का उद्घाटन करते स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय और अन्‍य।

    स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय शनिवार को बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन एवं ग्लोबल ऑर्थोपेडिक फोरम द्वारा आयोजित 11वें गोफकान के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

    इस मौके पर आयोजन सचिव डॉ. अमूल्य कुमार सिंह, डॉ. एसएस झा, पीएमसीएच के स्पाइन सर्जन डॉ. महेश प्रसाद, डॉ. सरसिज नयनम, डॉ. राजीव आनंद, डॉ. निशिकांत आदि मौजूद थे।

    हड्डी विशेषज्ञों ने नई तकनीकों की दी जानकारी

    इसके पूर्व कार्यक्रम के दूसरे दिन सुबह 7.30 बजे से लगातार देश भर से आए हड्डी रोग विशेषज्ञों ने नई तकनीकों की जानकारी दी।

    डॉ. अमूल्य कुमार सिंह ने कहा कि हड्डी-नस रोगों से पीड़ित रोगी अत्याधुनिक तकनीकों से जल्द स्वस्थ होते हैं।  साथ ही सुदूर जिलों में पुरानी तकनीक से इलाज कर रहे चिकित्सक नई तकनीक सीखकर ज्यादा उत्साहपूर्वक कार्य करते हैं।

    डॉ. अश्विनी गौरव ने गंभीर दुर्घटनाओं के बाद पूरे कूल्हे के प्रत्यारोपण की तकनीक की जटिलताओं पर प्रकाश डाला।

    डॉ. गुरुदेव कुमार ने मल्टी लिगामेंट संबंधी घुटने की चोटों के उपचार की नई तकनीक तो डॉ. पंकज जिंदल ने क्रिकेट की गेंद से अंगुलियों में गंभीर चोट को ठीक करने के उपायों पर प्रकाश डाला।

    इसके अलावा दुर्घटनाओं में अपर लिम्ब, लोवर लिम्ब में होने वाले फ्रैक्चर और उनके उपचार की आधुनिक तकनीकों पर प्रस्तुति दी गई।

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