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    Bihar Bhumi: जमीन मालिकों के लिए बड़ी खबर, अधिग्रहण और सर्वे के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन

    सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के बाद होने वाले विवादों से बचने के लिए बिहार सरकार ने नया निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के अनुसार अब जमीन की प्रकृति का निर्धारण वर्तमान स्थिति के आधार पर किया जाएगा न कि 100 साल पुराने खतियान के आधार पर। इसके अलावा अधिग्रहीत जमीन की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।

    By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 16 Jan 2025 06:22 PM (IST)
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    जमीन अधिग्रहण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी, विवादों से मिलेगी निजात

    राज्य ब्यूरो, पटना। सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के बाद होने वाले विवाद से बचने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नया निर्देश जारी किया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर कहा है कि नए दिशा निर्देश के आधार पर भविष्य में जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई करें।

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    पत्र के मुताबिक, जमीन की प्रकृति के आधार पर मुआवजे का निर्धारण किया जाता है। आम तौर पर जमीन की प्रकृति खतियान के आधार पर तय की जाती है। खतियान सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है। उस आधार पर जमीन का प्रकृति निर्धारण उचित नहीं होगा।

    हर तीन वर्ष में करना होगा यह काम

    निबंधन विभाग के निर्देश में हरेक तीन वर्ष की अवधि में जमीन का वर्गीकरण अद्यतन करने का प्रविधान है। इसलिए अधिग्रहण की अधिसूचना से पहले निबंधन विभाग के प्रविधान के अनुसार जमीन की प्रकृति का निर्धारण किया जाए। क्योंकि दर का निर्धारण जमीन की प्रकृति के आधार पर ही किया जाता है।

    फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी अनिवार्य

    पत्र में कहा गया है कि अधिग्रहीत जमीन की फोटोग्राफी एवं वीडियाेग्राफी हो। उस पर तिथि भी अंकित हो, ताकि भविष्य में यह प्रमाणित हो सके कि अधिग्रहण के बाद जमीन की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। फोटोग्राफी का खर्च भी जमीन अधिग्रहण करने वाला विभाग ही उठाएगा। पत्र में कहा गया है कि अधिग्रहीत जमीन का रिकार्ड दो महीने के भीतर दुरुस्त करा लिया जाए।

    जमीन के रेट को लेकर विवाद खत्म होगा!

    जमीन की दर को लेकर होने वाले विवाद को समाप्त करने का समाधान भी दिशा निर्देश में बताया गया है। निबंधन विभाग जमीन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करता है। यह राज्य में कई वर्षों से नहीं हुआ है।

    उपाय यह बताया गया है कि जिलाधिकारियों को भूमि अर्जन की कार्रवाई के लिए जमीन के दर निर्धारण का अधिकार मिला हुआ है। वे बाजार मूल्य को पुनरीक्षित और अद्यतन करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। भू अर्जन के मामले में जिलाधिकारी इस अधिकार का उपयोग करें।

    भूदान की अवितरित जमीन का स्वामित्व भूमि सुधार विभाग के नाम होगा

    राज्य में अवितरित भूदान की जमीन का स्वामित्व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नाम दर्ज होगा। इससे पहले इस जमीन पर भूदान यज्ञ समिति का स्वामित्व होता था। अभी यह समिति विघटित है। विघटन की अवधि में भूदान यज्ञ समिति का अधिकार राजस्व पर्षद को दिया गया है। इसी के तहत भूदान की अवितरित जमीन का स्वामित्व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को दिया जा रहा है।

    विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने यभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को भूमि सर्वेक्षण में भूदान की अवितरित जमीन के स्वामित्व निर्धारण के बारे में निर्देश दिया है।

    गुरुवार को जारी पत्र में कहा गया है कि भूमि सर्वेक्षण के प्रपत्र छह में खेसरा पंजी निर्माण के क्रम में जमीन धारण करने वाले कॉलम में भूमि सुधार विभाग का नाम दर्ज किया जाए। इसमें यह भी उल्लेख होगा कि यह भूदान में हासिल जमीन है।

    सीओ को मिला अधिकार

    • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने डिजिटाइजेशन के क्रम में लॉक जमाबंदी को अनलॉक करने का अधिकार सीओ दे दिया है। पहले यह अधिकार भूमि सुधार उप समाहर्ता को दिया गया था, लेकिन समीक्षा के क्रम में पाया गया कि यह व्यवस्था प्रभावी नहीं है।
    • नई व्यवस्था के तहत लाक जमाबंदी में सरकारी जमीन शामिल होने पर अभिलेख का संधारण करते हुए सीओ जांच करेंगे। गलत जमाबंदी पाए जाने पर उसे रद करने की कार्रवाई करेंगे।

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