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    Bihar Bhumi: जमीन सर्वे के बीच सामने आई अधिकारियों की कारस्तानी; परिमार्जन के 10 लाख आवेदन पेंडिंग

    बिहार भूमि सर्वेक्षण में सुधार के लिए शुरू की गई परिमार्जन प्लस सुविधा में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। वे बिना किसी वैध कारण के रैयतों के आवेदनों को अस्वीकृत कर रहे हैं। इस स्थिति को चिंताजनक मानते हुए विभाग ने ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई का निर्देश दिया है। राज्य में 10 लाख से अधिक आवेदन लंबित हैं।

    By Prem Shankar Mishra Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 14 Jan 2025 03:39 PM (IST)
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    जमीन सर्वे के बीच सामने आई अधिकारियों की कारस्तानी; परिमार्जन के 10 लाख आवेदन पेंडिंग

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। एक ओर जमीन के सर्वे (Bihar Bhumi Survey) को लेकर सरकार लोगों की हर संभव मदद करना चाह रही है। वहीं दूसरी ओर, पदाधिकारियों का रवैया इसमें पलीता लगा रहा है। परिमार्जन के लिए आए रैयतों के आवेदनों को बिना कारण बताए पदाधिकारी अस्वीकृत कर दे रहे हैं।

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    समीक्षा में मामला पकड़ में आने के बाद विभाग ने ऐसे पदाधिकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई का निर्देश सभी जिले के समाहर्ता को दिया है। इस स्थिति को विभाग ने चिंताजनक भी माना है।

    चकबंदी निदेशक ने जारी किया पत्र

    सभी समाहर्ता को भेजे गए पत्र में चकबंदी निदेशक राकेश कुमार ने लिखा है कि डिजिटाइज्ड जमाबंदी (Bihar Jamin Jamabandi) में सुधार को लेकर सरकार ने परिमार्जन प्लस सुविधा शुरू की है। ऑनलाइन व्यवस्था से ऐसा किया जा रहा है। राज्य में भू-अभिलेख को अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान ऑनलाइन दाखिल-खारिज और परिमार्जन सरकार की प्राथमिकता में है।

    देखा जा रहा है कि परिमार्जन प्लस में सुधार के लिए आवेदन करने वाले रैयतों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। उनके आवेदनों को बिना किसी वैध कारण अस्वीकृत कर दिया जा रहा है। इससे आम नागरिकों और भू-धारियों को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति चिंताजनक है।

    10 लाख आवेदन लंबित

    • निदेशक के पत्र के अनुसार, सात जनवरी तक राज्य में 10 लाख से भी अधिक आवेदन लंबित पाए गए हैं। इनमें ऑनलाइन जमाबंदी के पांच लाख 85 हजार 731 आवेदन हैं। वहीं, छूटी हुए जमाबंदी के मामलों के पांच लाख 12 हजार 144 आवेदन लंबित हैं।
    • निदेशक ने सभी समाहर्ता से विशेष अभियान चलाकर तीन माह से अधिक समय से लंबित आवेदनों का निष्पादन एक माह में कराने का आग्रह किया है। इसके साथ समय-समय पर इसकी समीक्षा का भी आग्रह किया है।
    • इस मामले में लापरवाही और शिथिलता बरतने वाले पदाधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित कर कार्रवाई के भी कहा है। राज्य में 10 लाख से अधिक आवेदन लंबित हैं।

    कांटी, साहेबगंज, मुशहरी व कटरा में निष्पादन हो रहे कम

    जिले में राजस्व विभाग से जुड़े मामलों समेत कई विभागों की योजनाओं की डीएम सुब्रत कुमार सेन की सोमवार को समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को सरकारी दिशानिर्देश के अनुरूप शत प्रतिशत उपलब्धि ससमय हासिल करने का निर्देश दिया। दाखिल खारिज की समीक्षा के दौरान पाया गया कि जिला स्तर पर निष्पादन का प्रतिशत 84 है।

    अंचलवार समीक्षा में पाया गया कि दाखिल खारिज में पारू की 95, मुरौल 92, साहेबगंज 90, सकरा 89 व मड़वन 89 उपलब्धि है। जबकि कांटी की उपलब्धि 71, मुशहरी 82, मीनापुर 82, कुढ़नी 83, मोतीपुर 83, गायघाट 83, बोचहां 84, औराई 85, कटरा 85 प्रतिशत है।

    जिलाधिकारी ने कहा कि 90 प्रतिशत से कम निष्पादन किसी भी अंचल का नहीं रहे। कांटी अंचल को विशेष अभियान चलाकर 90 प्रतिशत डिस्पोजल करने तथा अनुमंडल पदाधिकारी को विजिट कर एवं प्रतिदिन के कार्यों की समीक्षा कर प्रगति लाने का निर्देश दिया।

    DM ने अंचलों को दिया सुधार लाने का निर्देश

    परिमार्जन प्लस की समीक्षा के दौरान पाया गया कि मड़वन का 93, पारू का 86, सकरा का 65, गायघाट का 58 प्रतिशत निष्पादन है। जिलाधिकारी ने असंतोषजनक प्रदर्शन वाले अंचल कांटी, साहेबगंज, मुशहरी, कटरा, सरैया को सुधार लाने का निर्देश दिया। आधार सीडिंग के मामले में अंचलों की स्थिति औराई 71, गायघाट 62, पारू 60, बंदरा 59, मड़वन 59 प्रतिशत है। जिलाधिकारी ने सुधार लाने का निर्देश दिया।

    भू-स्वामित्व प्रमाणपत्र निर्गत करने में मुरौल, औराई, बोचहां, गायघाट, कुढ़नी, मोतीपुर, कटरा और साहेबगंज में 100 प्रतिशत डिस्पोजल है। वहीं, मड़वन में 97, कांटी 97, मुशहरी 98, पारू 98, मीनापुर 99 प्रतिशत डिस्पोजल है। जिलाधिकारी ने सभी अंचलाधिकारी को भूमि मापी से संबंधित आवेदन का उपलब्ध अमीन के माध्यम से शीघ्र निष्पादन करने को कहा।

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