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    Bihar Bhumi: नीतीश सरकार ने जमीन मालिकों और सर्वेकर्मियों को दी बड़ी राहत, अब खत्म हुआ ये सिरदर्द

    बिहार भूमि सर्वेक्षण में कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेजों को पढ़ने में आने वाली समस्या का समाधान हो गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कैथी लिपि से संबंधित एक पुस्तिका का लोकार्पण किया है। यह पुस्तिका विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इस पुस्तिका से कैथी लिपि में लिखे सर्वे खतियान और पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में आसानी होगी।

    By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 05 Dec 2024 07:20 PM (IST)
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    नीतीश सरकार ने जमीन मालिकों और सर्वेकर्मियों को दी बड़ी राहत

    राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Bhumi Survey 2024 राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि सर्वेक्षण में 'कैथी लिपि' में लिखे गए दस्तावेजों के पढ़ने में आने वाली समस्या का निदान कर दिया है। गुरुवार को विभागीय मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल कैथी लिपि से संबंधित एक पुस्तिका का लोकार्पण किया। दावा किया कि इससे कैथी लिपि में लिखे एक सर्वे खतियान एवं पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में सुविधा होगी।

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    कैथी लिपि में लिखे रहने के कारण विशेष सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) प्रक्रिया में आम रैयतों के साथ-साथ सर्वे कर्मियों को भी दिक्कत हो रही थी। यह पुस्तिका विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इसके लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रीतम कुमार की सेवाएं ली गईं।

    मंत्री ने क्या बताया?

    डॉ. जायसवाल ने कहा कि कैथी में लिखित दस्तावेजों को हिंदी लिपि में रूपांतरित करने के लिए लोग निजी व्यक्तियों या पुराने सरकारी कर्मियों का सहारा लेते थे। इसके लिए उनसे कभी-कभी अनावश्यक राशि की वसूली भी की जाती थी। अधिकांश लोगों ने इस संबंध में विभाग और क्षेत्रीय कार्यालयों में अपनी समस्याएं रखी थीं। इसी के आलोक में विभाग ने इस पुस्तिका के प्रकाशन का निर्णय लिया।

    लोकार्पण समारोह में विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव जय सिंह, भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे प्रियदर्शिनी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

    तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

    पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर एवं जमुई के बंदोबस्त कार्यालयों में पदस्थापित विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को कैथी में लिखे दस्तावेजों को पढ़ने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। विभाग द्वारा राज्य के अन्य सभी जिलों में भी प्रशिक्षण का कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है।

    विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से राज्य के सभी वैसे रैयत लाभान्वित होंगे जिनके पास भू- स्वामित्व से संबंधित पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे हुए हैं और उसके आधार पर ही उनकी भूमि के स्वामित्व का निर्धारण वर्तमान सर्वे की प्रक्रिया में किया जाना है।

    भूमि सर्वेक्षण के कारण गांवों का नक्शा खरीदने में बढ़ी लोगों की दिलचस्पी

    भूमि सर्वेक्षण के कारण जमीन से जुड़े दस्तावेजों में आम लोगों की बढ़ी रूचि का प्रभाव सोनपुर मेला में भी नजर आ रहा है। यहां लगे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के स्टाल पर बड़ी संख्या में लोग नक्शा खरीद रहे हैं। राजस्व नक्शों की बिक्री के लिए स्टाल नंबर दो पर दो काउंटर बनाए गए हैं। इससे भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय को पौने ग्यारह लाख रुपये की आय हुई है।

    विभाग के प्रवक्ता के अनुसार, दोनों काउंटर पर सीएस, आरएस, चकबंदी एवं म्युनिसिपल सर्वे नक्शा उपलब्ध है। इनकी संख्या एक लाख 36 हजार के करीब है। इन नक्शों को 150 रुपये प्रति शीट का भुगतान करके प्राप्त किया जा सकता है। भुगतान नकद किया जाता है। छोटे गांव का नक्शा एक शीट में जबकि बड़े गांव का नक्शा एक से अधिक शीट में मिलता है।

    प्रवक्ता ने बताया कि मेला घूमने आनेवाला कोई भी रैयत 150 रुपये प्रति शीट के हिसाब से भुगतान करके अपने गांव का नक्शा हासिल कर सकता है। इससे पूर्व 10 रुपये की पर्ची पर अपना विवरण देना होता है। इसमें खाता, खेसरा, गांव का नाम, राजस्व थाना नंबर, अंचल और जिला का नाम भरना पड़ता है। इस पूरी प्रक्रिया में हरेक आवेदक को औसत 10 मिनट का समय लग रहा है। मंगलवार तक 2842 लोगों द्वारा 7177 शीट्स के लिए आवेदन दिया है।

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