Child Adoption: गोद लिए बच्चे को माता-पिता का नाम नहीं दे सकते मुस्लिम, संपत्ति को लेकर भी हैं ये नियम
मुस्लिम समुदाय में अगर कोई निसंतान दंपत्ति बच्चा गोद लेते हैं तो वो उसे अपना नाम नहीं दे सकते। इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं है। बच्चे को गोद लेने वाली महिला स्तनपान कराकर दूध का रिश्ता बना सकती हैं जो मां के दर्जे के बराबर ही माना जाता है। वहीं दूसरी ओर पुरुष केवल सरपरस्त करने वाला ही बन सकते हैं।

संवाद सूत्र, फुलवारीशरीफ। इस्लाम में गोद लिए या लावारिस बच्चों को अपनाने वाले मुस्लिम दंपती बच्चे के पिता के बदले अपना नाम नहीं दे सकते हैं। यह गैर शरियत काम है। इस्लाम में इसकी सख्त मनाही है। इसके कुछ नियम इस्लाम में तय हैं। इसके तहत गोद लेने वाले लोग सरपरस्त (संरक्षण करने वाला/गार्जियन) या देखभाल करने वालों में अपना नाम दे सकते हैं।
महिला और पुरुष के लिए नियम
- गोद लिए गए बच्चे को महिलाएं चाहे तो अपना स्तनपान कराकर दूध का रिश्ता बना सकती हैं।
- वहीं पुरुष केवल सरपरस्त करने वाला ही बन सकते हैं।
आईडीआरएफ इस्लामी दावा रिर्सच फाउंडेशन से मांगे गए फतवा के अनुसार, लावारिस या गोद लेने वाले बच्चों (Child Adoption) के बारे में चौकाने वाली जानकारी सामने आई है।
आइडीआरएफ के अध्यक्ष अहसनूल होदा ने बताया कि इस्लाम में गोद लेने का प्रचलन नहीं है। यदि कोई निसंतान दंपती किसी लावारिस बच्चे या अन्य बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो उसे अपना नाम मां-बाप के रूप में नहीं दे सकते हैं। उन्हें सरपरस्ती में अपना नाम यानी देखरेख करने वालों में देना होगा।
...और क्या कहता है आईडीआरएफ का फतवा
- यदि गोद लेने वाला नवजात लड़की है तब वैसी स्थिति में गोद लेने वाले मर्द को उसके वयस्क होने के बाद पर्दा करना होगा
- वहीं यदि गोद लिया गया बच्चा लड़का है तब उसके वयस्क होने के बाद गोद लेने वाली महिला को पर्दा करना होगा।
गोद लेने वाली महिला का दर्जा मां के बराबर
महिला चाहे तो लड़का या लड़की को अपना स्तनपान (ब्रेस्ट फीडिंग) कराकर दूध का रिश्ता बना सकती हैं। इस्लाम में मां के बाद दूध पिलाने वाली महिला का दर्जा मां के बराबर होता है।
संपत्ति में भी अधिकार नहीं
इस्लाम के नियम के अनुसार गोद लिए गए बच्चे का संपत्ति पर भी कोई अधिकार नहीं होता। अगर कोई निसंतान दंपती बच्चे को गोद लेता है तो भी वह उनकी संपत्ति का वारिस नहीं होगा।
देश में क्या नियम
भारतीय नियम के अनुसार, अगर कोई निसंतान दंपत्ति बच्चा गोद लेता है तो वह कानूनी रूप से उनकी संतान बन जाता है। उस बच्चे को माता-पिता अपना नाम दे सकते हैं। साथ ही उसे वो सभी अधिकार मिलते हैं, जो किसी भी जैविक बच्चे के पास होते हैं।
हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत बच्चा गोद लिया जा सकता है। वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority) इस प्रक्रिया की पूरी देखरेख करता है।
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