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    2 वजहों से मणिपुर में काम करने गए थे बिहार के सोनालाल और दशरथ, अब CM नीतीश ने परिवार के लिए कर दी बड़ी घोषणा

    मणिपुर में जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। काकचिंग जिले में शनिवार को दो प्रवासी श्रमिकों सोनालाल कुमार और दशरथ कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दोनों बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले थे और कर्ज चुकाने और घर बनवाने के लिए मणिपुर में काम कर रहे थे। अब सीएम नीतीश कुमार ने बड़ी घोषणा कर दी है।

    By Rajat Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 15 Dec 2024 07:49 PM (IST)
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    CM नीतीश ने परिवार के लिए कर दी बड़ी घोषणा

    रजत कुमार, गोपालगंज/पटना। मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। जातीय हिंसा से झुलस रहे मणिपुर के काकचिंग जिले में शनिवार की शाम को हमलावरों ने गोपालगंज जिले के जादोपुर थाना क्षेत्र के राजवाही बीन टोली निवासी दो कामगारों की गोली मारकर हत्या कर दी।

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    मरने वाले सोनालाल कुमार कर्ज चुकाने, जबकि दशरथ कुमार घर बनवाने का सपना लेकर मणिपुर कार्य करने के लिए गए थे। हत्या की घटना की सूचना मिलने के बाद स्वजन का रो-रो कर बुरा हाल है। स्वजन ने जिला प्रशासन से दोनों कामगारों का शव घर तक लाने की मांग की है।

    जानकारी के अनुसार, जादोपुर थाना क्षेत्र के राजवाही बीन टोली निवासी मोहन सहनी के पुत्र दशरथ कुमार व उनके पड़ोसी विरेंद्र मुखिया के पुत्र सोनालाल कुमार, दोनों ने घर की स्थिति को देखकर मणिपुर जाने का फैसला किया और दीपावली बीतने के बाद घर से रवाना हो गए। मणिपुर के काकचिंग जिले में पहुंच गए।

    वहां दशरथ कुमार के बड़ा भाई संतोष कुमार एवं सोनालाल कुमार के पिता विरेंद्र मुखिया पहले से ही एक भवन में निर्माण कार्य करते थे। वहां दशरथ व संतोष भी कार्य करने लगे। इस दौरान शनिवार को काम खत्म करने के बाद सोनालाल कुमार व दशरथ कुमार साइकिल पर सवार होकर अपने किराये के मकान की तरफ जाने लगे।

    इसी बीच अपराधियों ने गोली मारकर दोनों कामगार की हत्या कर दी। हत्या की घटना की सूचना मिलने के बाद पैतृक गांव में कोहराम मच गया।

    रविवार को रामपुर टेंगराही पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि अजीत राय ने बताया कि स्वजन ने शव को राजवाही गांव में मांगवाने की मांग की है। इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है।

    साथ ही मृतक दशरथ कुमार के पिता मोहन सहनी ने बताया कि घर बनवाने के लिए दशरथ अपने भाई के पास गया था। दोनों भाई कार्य भी कर रहे थे, ताकि घर बनाया जा सके।

    वहीं सोनालाल कुमार की मां राधिका देवी ने बताया कि बेटी की शादी में दो लाख से अधिक कर्ज हो जाने के कारण सोनालाल अपने पिता के पास मणिपुर चला गया।

    वहां पिता के साथ ही कार्य करने लगा, ताकि दोनों मिलकर जल्द से जल्द कर्ज को चुकाने का कार्य का सके। हिंसा में दोनों कामगारों की हत्या के बाद उनका सपना धरा का धरा ही रह गया।

    13 दिसंबर को फोन कर दोनों कामगारों ने मां से की थी बात

    मणिपुर में अपराधियों की गोली का शिकार बने दशरथ कुमार व सोनालाल कुमार के स्वजन ने बताया कि दोनों कामगारों ने शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे फोन कर अपनी-अपनी मां से वीडियो काल बात की। साथ ही मणिपुर के हालत को सामान्य बताते हुए पैसा नए साल के पहले भेजने की बात कही।

    शनिवार की रात को बात करने का वादा करने के बाद दोनों ने फोन को काट दिया शनिवार की रात फोन आने की जगह दोनों की मौत की खबर घर तक पहुंची। इसके बाद दोनों के स्वजन का रो-रो कर बुरा हाल है।

    स्वजन बोले, रंगदारी नहीं देने पर की गई हत्या

    • जादोपुर थाना क्षेत्र के राजवाही बीन टोली निवासी सोनालाल कुमार व दशरथ कुमार की मणिपुर में गोली मारकर हुई हत्या की घटना के बाद गांव के लोगाें की भीड़ मृतकों के दरवाजे पर उमड़ी थी।
    • इस दौरान स्वजन ने कहा कि जिस ठेकेदार के साथ रहकर दोनों कामगार कार्य करते थे। उनसे रंगदारी की मांग की गई थी। ऐसे में रंगदारी नहीं देने पर हत्या की बात सामने आ रही है।

    मणिपुर में दो बिहारियों की हत्या दु:खद : नीतीश

    वहीं, मणिपुर हिंसा में बिहार के दो लोगों की हत्या पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह घटना काफी दु:खद है। वह इस घटना से मर्माहत हैं। हिंसा में मारे गए दोनों लोगों के स्वजन को मुख्यमंत्री राहत कोष से उन्होंने दो-दो लाख रुपये दिए जाने की घोषणा की है।

    मणिपुर हिंसा में गोपालगंज के रहने वाले लक्ष्मण कुमार (सोने लाल) तथा दशरथ कुमार की हत्या कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि बिहार के जिन दो लोगों की हत्या हुई है, उन्हें श्रम संसाधन व समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से नियमानुसार अन्य लाभ भी दिलाएं जाएं।

    उन्होंने दिल्ली में तैनात बिहार के स्थानिक आयुक्त को पूरी स्थिति की जानकारी लेने को भी कहा। यह निर्देश दिया मृतकों के स्वजन को हरसंभव सहायता उपलब्ध करायी जाए। उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था भी की जाए।

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