मोदी की ‘गमछा पॉलिटिक्स’ हुई सुपरहिट: प्रचार से नतीजे और अब शपथ तक... हर मंच पर बिहारी अंदाज़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'गमछा पॉलिटिक्स' खूब चली। चुनाव प्रचार से लेकर शपथ ग्रहण तक, हर मौके पर उनका बिहारी अंदाज दिखा। उन्होंने गमछा पहनकर बिहारी संस्कृति के प्रति सम्मान जताया। चुनाव नतीजों के बाद भी गमछा पहने दिखना बिहार के लोगों के साथ उनके जुड़ाव का प्रतीक था।

बिहार में एक बार फिर से गमछा छाया रहा।
राधा कृष्ण, पटना। बिहार की राजनीति में गमछा सिर्फ परिधान नहीं, संस्कृति, सम्मान और जनभावना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बखूबी समझा और बीते कुछ महीनों में इसे लगातार अपने जनसंपर्क और राजनीतिक संदेश का हिस्सा बनाया। यही वजह है कि बुधवार को गांधी मैदान में नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने एक बार फिर बिहारी स्टाइल में गमछा लहराया, और मैदान तालियों, नारों और उत्साह से गूंज उठा।
दिलचस्प बात यह है कि यह पहला मौका नहीं था
14 नवंबर, NDA की जीत के दिन, जब परिणाम स्पष्ट हो चुके थे, तब भी पीएम मोदी ने दिल्ली से संबोधित करते हुए गमछा हवा में लहराकर बिहार की जनता को धन्यवाद दिया था।
इससे पहले बेगूसराय में चुनाव प्रचार के दौरान और वहीं नए पुल के उद्घाटन कार्यक्रम में भी उन्होंने मंच से गमछा लहराया था। तीनों मौकों पर भीड़ की प्रतिक्रिया जबरदस्त रही।
इस तरह प्रचार नतीजे और अब शपथ ग्रहण तक गमछा हर बार पीएम मोदी का सबसे प्रभावी सांस्कृतिक संकेत बनकर सामने आया।
क्या है गमछा पॉलिटिक्स?
बिहार में गमछा एक सांस्कृतिक पहचान है, किसान, मजदूर, बुजुर्ग, नौजवान सब इसे सम्मान के रूप में इस्तेमाल करते हैं। राजनीतिक मंचों पर जब कोई नेता गमछा धारण करता या हवा में लहराता है, तो यह सीधा संदेश जाता है कि वह नेता जनता की संस्कृति और जीवन से खुद को जोड़ता है।
मोदी ने इसी प्रतीक को अपनी ‘कनेक्ट पॉलिटिक्स’ का हिस्सा बनाया, और यह रणनीति हर बार सफल साबित हुई।
गांधी मैदान में शपथ ग्रहण के दौरान जब प्रधानमंत्री ने लाल-पीला गमछा लहराया, भीड़ में मौजूद हजारों लोग उल्लास से झूम उठे। गमछा हवा में घूमता ही रहा और मैदान में “जय बिहार”, “हर-हर महादेव”, “नीतीश कुमार जिंदाबाद” के नारे तेज होते गए।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह “गमछा पॉलिटिक्स” बिहार में मोदी की लोकप्रियता को जमीन से जोड़ने वाला अहम प्रतीक बन गया है। भाजपा और एनडीए के नेताओं ने भी इसे जनता तक पहुंचने के प्रभावी साधन के रूप में देखा है।
आज के कार्यक्रम ने साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में गमछा सिर्फ कपड़ा नहीं—बल्कि जनता का दिल जीतने की चाबी है। और प्रधानमंत्री मोदी ने इसे हर सही मौके पर इस्तेमाल कर अपने पक्ष में माहौल बनाया।
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