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    Bihar Election 2025: आनंद मोहन से लेकर विजय सिन्हा तक... इन नेताओं को झेलना पड़ रहा जनता का गुस्सा 

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 02:48 PM (IST)

    Bihar Chunav में कई विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मतदाताओं की शिकायत है कि विधायक चुनाव जीतने के बाद कभी गांव नहीं आए और विकास कार्य नहीं कराए। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों को इस विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि पांच साल बाद विधायक अब दिख रहे हैं। उम्मीद है कि मतदान के दिन सब ठीक हो जाएगा।

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    बिहार में विधायकों का हो रहा विरोध

    राज्य ब्यूरो,पटना। वोटों के समीकरण और नेतृत्व से अच्छे संबंध के कारण कई विधायकों को टिकट तो दे दिया गया, लेकिन अब Bihal Assembly election 2025 में उन्हें क्षेत्र में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। कुछ विधायकों को तो गांव वाले खदेड़ कर दूसरे गांव की सीमा में पहुंचा दे रहे हैं।

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    बड़ी शिकायत यह है कि चुनाव जीतने के बाद विधायकजी कभी गांव नहीं आए। दूसरी शिकायत यह कि सरकार की योजनाओं को लागू करने में भी तत्परता नहीं दिखाई। यहां तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वपूर्ण नाली-गली योजना का कार्यान्वयन भी अपने क्षेत्र में नहीं करा पाए।

    इन विधायकों का हुआ विरोध 

    दिलचस्प यह है कि इस तरह का विरोध पक्ष और विपक्ष-दोनों के विधायक झेल रहे हैं। दरभंगा जिला के हायाघाट के भाजपा विधायक रामचंद्र प्रसाद इस बार भी उम्मीदवार हैं। वोट मांगने के लिए जिस गांव में जाते हैं, वोटरों का विरोध झेलना पड़ता है।मुर्दाबाद का नारा और अपशब्द इनके लिए आम है।

    यह क्षेत्र उत्तर बिहार में है। उधर दक्षिण बिहार के गया जिला के वजीरगंज के भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह को भी अपने क्षेत्र कुछ ऐसे ही दृश्य से दो-चार होना पड़ रहा है। वह भी हायाघाट वाले रामचंद्र प्रसाद की तरह खदेड़े जा रहे हैं। पूर्व सांसद आनंद मोहन अपने पुत्र चेतन आनंद के लिए नवीनगर में वोट मांग रहे हैं। उनका भी विरोध हो रहा है।

    नाराजगी वही विकासहीनता को लेकर है। एक गांव में आनंद मोहन कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे राज्य का विकास किया है। ग्रामीण कहते हैं, "यह बताइए कि मेरे गांव के लिए क्या किया गया है?

    उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के क्षेत्र में काफी काम हुआ है, फिर भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उनसे यही शिकायत है कि बड़े पद पर रहने के कारण क्षेत्र की जनता की जितनी अपेक्षा थी, उसके अनुसार काम नहीं हुआ है। ऐसी बात नहीं है कि केवल सत्तारूढ़ दल के विधायकों को ही आम जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है।

    विपक्ष के नेताओं से भी नाराज है जनता

    विरोधी दलों के विधायक और उम्मीदवार भी इसी गति को प्राप्त कर रहे हैं। कटिहार जिला के बलरामपुर से भाकपा माले विधायक महबूब आलम जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद तारिकअनवर के साथ वोट मांग रहे थे, तो उन्हें भी विकासहीनता के कारण विरोध का सामना करना पड़ा।

    विधायकों के प्रति यह आम शिकायत है कि उनमें से अधिसंख्य ऐसे हैं, जो जीत कर जाने के बाद कभी नहीं आए। पांच साल बाद अभी नजर आ रहे हैं। इस श्रेणी के विधायकों का विरोध उनकी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता भी कर रहे हैं। हालांकि इस समय के विरोध को क्षणिक माना जाता है। वोट देने के दिन सबकुछ ठीक हो जाता है।

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