Tej Pratap Vs RJD: महुआ में जिद और विकास का इम्तिहान, तेजप्रताप की किस्मत EVM में कैद
महुआ विधानसभा क्षेत्र में पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ। मुकाबला चुनावी होने के साथ भावनात्मक और वैचारिक भी रहा। मतदाताओं ने विकास और उम्मीदवारों की साख को परखा। तेजप्रताप यादव और मुकेश रोशन के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जिसमें वोटों का बंटवारा देखने को मिला। अब देखना है कि खामोश मतदाता क्या फैसला सुनाते हैं।

तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव।
सुनील राज, पटना। महुआ विधानसभा क्षेत्र (Mahua Vidhan Sabha Seat Election) के मतदाताओं ने अपना फैसला चुनाव आयोग के बक्से में बंद कर दिया है। पहले चरण में इस सीट पर जिस तरह से वोटिंग हुई, उसने एक बात साफ कर दी, यहां मुकाबला केवल चुनावी नहीं बल्कि भावनात्मक और वैचारिक भी रहा।
मतदाताओं ने न सिर्फ अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दिया, बल्कि वोट के बहाने उस राजनीति को भी परखा जिसमें जिद है, जिसमें संगठन की ताकत है। उसने वोट देने के पहले विकास का इम्तिहान भी लिया।
महुआ सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प बना। एक ओर थे लालू परिवार के बड़े बेटे और राजद से निष्कासित तेजप्रताप यादव। जो नई पार्टी जनशक्ति जनता दल के सिंबल पर मैदान में हैं। तेज प्रताप के सामने राजद ने अपने वर्तमान विधायक मुकेश रोशन पर दांव लगाया हुआ है। वहीं एनडीए ने लोजपा रामविलास के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह को जीत की जिम्मेदारी दी है।
बहरहाल सुबह से शुरू मतदान के बीच वैशाली उच्च मध्य विद्यालय के बूथ संख्या 228 में कतार में लगी आकृति कुमारी कहती हैं कि महुआ में इस बार मुकाबला तीन प्रत्याशियों के बीच नहीं, बल्कि नई उम्मीद, पुरानी परख और विकास के भरोसे के बीच है।
मतदाताओं के लिए निर्णय आसान नहीं, लेकिन हम सभी ने अपना मन बना लिया है। इंतजार करें, 14 को सब पता चल जाएगा। इसी लाइन में खड़े नौजवान मतदाता विक्की और सोनू कुछ ज्यादा ही स्पष्टतावादी हैं। इनके लिए तेजू भईया तो ब्रांड हैं। मेडिकल कॉलेज दिए हैं। लिहाजा वे ही जीतेंगे।
प्रखंड कार्यालय के बूथ 153 की लाइन में खड़े जवाहर लाल कहते हैं राजद का यह क्षेत्र परंपरागत रूप से मजबूत रहा है, लेकिन तेजप्रताप के अलग उतरने से समीकरण बिगड़े। हालांकि, उनके लिए जीत आसान नहीं होगी। लोजपा प्रत्याशी संजय सिंह को बिना शोर वाला लाभ मिल सकता है।
मुसाफिर राय कहते हैं कि राजद उम्मीदवार मुकेश रोशन संगठन के भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सामने अपने पुराने वोट बैंक को बचाने की चुनौती है। लेकिन महिला मतदाताओं और अल्पसंख्यक वर्ग के जो मतदाता राजद के साथ रहे हैं उन पर इसका प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ने वाला।
महुआ में चर्चाओं में एक बात तो साफ है कि तेजप्रताप के लिए यह चुनाव पूरी तरह अपनी इज्जत, स्वाभिमान की लड़ाई है। क्योंकि इसी क्षेत्र ने तेज प्रताप को राजनीतिक पहचान दी। मुकेश रोशन के लिए भी यह सीट फिलहाल प्रतिष्ठा बनी हुई है। दो यादव उम्मीदवारों की वजह से यादव वोटों में इस बार बंटवारा दिखा। एक बड़ा हिस्सा तेजप्रताप के पक्ष में तो दूसरा राजद समर्थक तबका मुकेश रोशन के साथ दिखा।
भूमिहार, राजपूज व अन्य बिरादरी के मतदाताओं के लिए प्रतिक्रिया तो ज्यादा मौन महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर यहां की लड़ाई वैसे तो दिलचस्प रही, लेकिन दो भाइयों के द्वंद्व में फंसे महुआ में खामोश मतदाता क्या निर्णय देंगे इसे परखना आसान नहीं।

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