Bihar Politics: 136+52+34+20... सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल, राजद-कांग्रेस दिखाएंगे बड़ा दिल
बिहार महागठबंधन ने सीट बंटवारे पर सहमति बना ली है। राजद और कांग्रेस ने नए साथियों के लिए त्याग करने का फैसला किया है। राजद को 135-136 सीटें मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस को 50-52 सीटें मिलने की उम्मीद है। मुकेश सहनी की पार्टी को भी सीटें मिलेंगी। 15 सितंबर को सीटों की आधिकारिक घोषणा संभव है। एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है।

सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। इसके साथ ही महागठबंधन (आईएनडीआईए) ने सीट बंटवारे को लेकर बड़ी बाधा पार कर आपसी सहमति बना ली है। इस गठबंधन के दो प्रमुख और बड़े दलों राजद-कांग्रेस ने तय किया है कि विजय मार्ग पर बढऩे के दोनों दल थोड़ा-थोड़ा त्याग करेंगे, ताकि नए साथियों को चुनाव मैदान में किस्मत आजमाइश का मौका मिल सके।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन की समन्वय समिति के अध्यक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर मैराथन बैठक में यह फैसला हुआ कि दलों को वैसी सीटें मिलेंगी जहां वे प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होंगे।
महागठबंधन की बैठक में आपसी सहमति से लिए गए इस निर्णय पर राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि आपसी तालमेल और दरार की गुंजाइश को किनारे करते हुए ही महागठबंधन, भाजपा और एनडीए के मजबूत नेटवर्क और वोट बैंक का मुकाबला हो सकता है।
कांग्रेस और राजद के सूत्रों के अनुसार, सीटों के बंटवारे का जो फॉर्मूला तैयार हुआ है उसके तहत रेस का सबसे बड़ा दल राजद होगा। जिसे करीब 135-136 सीटें मिलने का अनुमान है। इन्हीं सीटों में करीब 10-11 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और रालोजपा (पारस गुट) को दी जाएंगी।
दूसरे पायदान पर कांग्रेस होगी जिसे 50-52 सीटें मिलने की बात आ रही है। कांग्रेस के हिस्से की कुछ सीटें वाम दलों जा सकती हैं। चर्चा है कि तीन वामदलों को मिलाकर 34 सीटें मिल सकती हैं। मुकेश सहनी की पार्टी इस बार महागठबंधन का हिस्सा है। उसे भी 18-20 सीटें दिए जाने की बात सामने आ रही है।
हालांकि, सहनी काफी पहले से 60 सीटों की मांग करते रहे हैं, परंतु वे महागठबंधन की जीत के लिए त्याग करने का परहेज नहीं करेंगे ऐसा दावा हो रहा है।
यहां बताएं कि महागठबंधन में सीटों के मसले पर काफी खींचतान दिखाई पड़ रही थी। कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी जैसी पार्टियां चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के पहले से सार्वजनिक मंचों से बड़ी हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे।
ऐसे हालात में इन पार्टियों को एकमत करना बेहद दुष्कर रहा, परंतु प्रदेश स्तर के नेताओं ने अंतत: यह मान लिया कि पार्टी का लक्ष्य केवल सीटें बढ़ाना नहीं, बल्कि महागठबंधन को सत्ता में लाना होना चाहिए।
अब 15 सितंबर को सीटों की आधिकारिक घोषणा संभव है। यदि इसके पहले महागठबंधन में आपसी द्वंद्व नहीं दिखा तो इसका सीधा संदेश जाएगा कि विपक्ष अगर एकजुट हो तो कोई भी मुश्किल साधी जा सकती है।
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