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    Bihar Politics: बिहार में फसल उगाती बसपा, काट ले जाती सरकार; जीत के बाद दल बदलते विधायक

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 07:16 PM (IST)

    बिहार में बसपा के साथ अजीब स्थिति है। चुनाव में विधायक तो जीतते हैं पर वे सरकार में शामिल हो जाते हैं। 1995 से यही हो रहा है। 2000 में बसपा को पांच सीटें मिलीं पर कोई भी विधायक पार्टी में नहीं रहा। 2020 में जीते एकमात्र विधायक भी जदयू में शामिल हो गए।

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    फसल उगाती बसपा, काट ले जाती है सरकार

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में बसपा के साथ गजब ट्रेजडी हो रही है। विधानसभा चुनाव के समय वह फसल लगाती है। फसल आती भी है, लेकिन वह बसपा के बदले सरकार के खलिहान में लग जाती है। यह सिलसिला 1995 से शुरू है, जब पहली बार बसपा विधानसभा चुनाव लड़ी थी। उसके दो विधायक हुए। दोनों देर सवेर सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए।

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    2020 के विधानसभा चुनाव तक यह सिलसिला जारी है। 1995 में चैनपुर से महाबली सिंह और मोहनिया से सुरेश पासी बसपा टिकट पर विधायक बने, क्योंकि लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली जनता दल की सरकार को बाहरी विधायकों के समर्थन की जरूरत नहीं थी, इसलिए उन्होंने इन विधायकों को तोड़ने का प्रयास नहीं किया।

    हालांकि, ये विधायक सरकार की सहयाेगी की भूमिका में ही रहे। 2000 के विधानसभा चुनाव में भी इन दोनों की जीत हुई। ये दोनों राजद में शामिल हो गए। 2005 का विधानसभा चुनाव दोनों राजद से लड़े। अबतक के चुनावों में बसपा को सबसे अच्छी सफलता 2000 के विस चुनाव में ही मिली थी।

    2000 के विधानसभा चुनाव में बसपा के पांच उम्मीदवार विधायक बने-राजेश सिंह, सुरेश पासी, छेदी लाल राम, महाबली सिंह और जाकिर हुसैन। इनमें से एक भी आज इस पार्टी में नहीं हैं। हां, दूसरे दलों में रह कर ये सब जीतते-हारते रहे हैं। महाबली सिंह तो जदयू टिकट पर सांसद भी बने। राजेश सिंह और जाकिर हुसैन भी दूसरे दल के विधयक बने।

    2005 के फरवरी के विधानसभा चुनाव में गोपालगंज के कटेया से अमरेंद्र पांडेय और गोपालगंज से रेयाजुल हक चुनाव जीते। उसी साल नवंबर के चुनाव में बसपा की चार सीटों पर जीत हुई। कटेया से अमरेंद्र पांडेय जीते। सीता सुंदरी देवी दिनारा, रामचंद्र यादव भभुआ और हृदय नारायण सिंह बक्सर से जीते। अमरेंद्र पांडेय अभी जदयू के विधायक हैं। रेयाजुल हक राजद में चले गए थे। सीता सुंदरी उसी क्षेत्र से 2010 में राजद की उम्मीदवार बनी।

    नवंबर 2005 में बसपा 212 सीटों पर लड़ी थी। उसे रिकॉर्ड 4.17 प्रतिशत वोट मिला था। 2015 में वह सभी 243 सीटों पर लड़ी। 2.1 प्रतिशत वोट मिला। किसी सीट पर जीत नहीं हुई।

    2010 में भी उसका खाता नहीं खुल पाया। 2020 में 80 विधानसभा क्षेत्रों से उसके उम्मीदवार खड़े हुए। केवल चैनपुर से जमा खान चुनाव जीते। परिणाम आने के तुरंत बाद वे जदयू में शामिल हो गए। अभी राज्य सरकार के मंत्री हैं।

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