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    Patna High Court: दहेज हत्या मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट की याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने CBI को सौंपा मामला

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Pandey
    Updated: Fri, 18 Apr 2025 11:16 PM (IST)

    Patna High Court News पटना हाई कोर्ट ने रोहतास जिले के निलंबित न्यायिक पदाधिकारी प्रतीक शैल की याचिका खारिज कर दी है। दहेज हत्या के मामले में दर्ज प्राथमिकी को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने तकनीकी पहलुओं और चिकित्सीय साक्ष्यों को देखते हुए यह फैसला लिया है।

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    पटना हाई कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंपा। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से रोहतास जिला के निलंबित न्यायिक पदाधिकारी प्रतीक शैल की याचिका को खारिज करते हुए न केवल प्राथमिकी को बरकरार रखा, बल्कि पूरे प्रकरण की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने का आदेश भी दिया।

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    यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ ने प्रतीक शैल की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी की मृत्यु के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी (आलमगंज थाना कांड संख्या 747/2023) को निरस्त करने की मांग की थी, जिसमें दहेज हत्या (आईपीसी 304B) का आरोप था।

    कोर्ट ने इस प्रकरण की तकनीकी प्रकृति, चिकित्सीय दस्तावेज़ों के आधार तथा राज्य पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 498A एवं दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं 3 और 4 सम्मिलित न करने की चूक को देखते हुए, मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया।

    कोर्ट ने अन्वेषण अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह मामले की केस डायरी, जब्त की गई वस्तुएं और दस्तावेजों को दिनांक 19 अप्रैल 2025 तक सीबीआई के संबंधित प्राधिकारी को सौंप दे।

    साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया कि वह आदेश की तिथि से तीन दिनों के भीतर पटना के एसीजेएम-6 के समक्ष आत्मसमर्पण करें। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उनके विरुद्ध जारी गैर-जमानती वारंट निष्पादित किया जाएगा।

    कोर्ट ने सीबीआई को अनुमति दी है कि वह आलमगंज थाना कांड संख्या 747/2023 के संदर्भ में भारतीय दंड संहिता की धारा 304A या वैकल्पिक रूप से धारा 304 भाग-II के साथ धारा 498A तथा दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं 3 और 4 याचिकाकर्ता और अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध जोड़े।

    याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की पत्नी की मृत्यु पेट की टीबी से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट और अस्पताल द्वारा जारी की गई चिकित्सा का सारांश प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि मृत्यु के पीछे याचिकाकर्ता का कोई हाथ नहीं था।

    मृतक चंदनी चंद्रा के पिता अशोक कुमार की ओर से वरीय अधिवक्ता चितरंजन सिन्हा ने दलील दी कि विवाह के बाद से याचिकाकर्ता की बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि पहले से 30 लाख रुपये नकद, कार, आभूषण और अन्य उपहार दिए गए, परंतु ससुराल पक्ष द्वारा 20 लाख रुपये और मांगते हुए उत्पीड़न किया गया।

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