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    नीतीश कुमार से हो गई गलती? Waqf Bill पर JDU नेताओं ने ही खोल दिया मोर्चा, बोले- ये मुसलमानों के खिलाफ

    नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के नेताओं ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह बिल मुसलमानों के खिलाफ है। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि इस बिल को चुनौती दी जाएगी। वहीं जदयू MLC प्रो. गुलाम गौस ने कहा कि यह बिल मुसलमानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।

    By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 03 Apr 2025 07:47 PM (IST)
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    नीतीश कुमार की पार्टी के नेताओं ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

    राज्य ब्यूरो, पटना। वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) के समर्थन के बाद जदयू (JDU) के कुछ नेताओं का विरोध मुखर हो गया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि बुधवार की रात संसद में सभी दलों का पर्दा उठ गया। सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष दलों का अंतर समाप्त हो गया।

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    उन्होंने कहा कि वे जल्द ही मुस्लिम संगठनों की बैठक बुलाएंगे। विचार करेंगे कि इस बिल को किस अदालत में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट, जहां कहीं हो, हमलोग इस बिल को चुनौती देंगे।

    जदयू MLC बोले- मुसलमानों के जख्मों पर नमक छिड़का

    इधर, जदयू के विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के जख्म पर नमक छिड़कने की तरह है। टूटे हुए दिल से बस यही एक बात जुबान पर आती है कि मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, फैसला हमें क्या देगा?

    प्रो. गौस ने कहा कि कभी बाबरी-दादरी, कभी लव जिहाद, घर वापसी, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी, 370, मॉब लिंचिंग वगैरह का कहर बरपा किया जाता रहा है। अब वक्फ की आड़ में समस्त मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। इस समाज को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

    यह मुस्लिम पहचान, धार्मिक आजादी और संस्कृति पर सीधा हमला है: दीपंकर

    दूसरी ओर, भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि वक्फ बिल मुस्लिम पहचान, धार्मिक आजादी और संस्कृति पर सीधा हमला है। वक्फ बोर्ड मुस्लिमों की दान में दी गई जमीन और धार्मिक-सांस्कृतिक जगहों से जुड़े मामलों को देखता है। इस नए बदलाव से ऐसी सभी जमीनों, संपत्तियों और संस्थानों का रजिस्ट्रेशन रूरी होगा और इससे जुड़े हर विवाद का फैसला राज्य के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही है। उन्होंने कहा कि इससे संविधान कमजोर हो रहा है। सबकी आजादी खतरे में है।

    उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून (सीएए) के जरिए मुस्लिमों को बाकी लोगों से अलग किया गया, जो संविधान के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ था कि धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होगा। फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के बहाने मुस्लिम समाज को निशाने पर लिया गया। उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो गया है, जो अलग-अलग धर्मों और जातियों के बीच शादी और बड़े होकर अपनी मर्जी से साथ रहने की आजादी पर बड़ा हमला है।

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