Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Politics: प्रशांत किशोर की पार्टी ने अब प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, सम्राट चौधरी को लेकर की ये मांग

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 03:45 PM (IST)

    जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष उदय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर कार्रवाई की मांग की है। उदय सिंह ने 1995 के लौना परसा नरसंहार में सम्राट चौधरी की अभियुक्त के रूप में गिरफ्तारी का उल्लेख किया जिसमें उनकी उम्र को लेकर विरोधाभास है। उन्होंने आरोप लगाया कि गलत दस्तावेज पेश कर उन्हें नाबालिग बताकर रिहा कराया गया।

    Hero Image
    प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। जन सुराज पार्टी (जसुपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

    पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने सोमवार को ही प्रेस-वार्ता कर कहा था कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाएगा। हालांकि, इस बीच चुनावी शपथ-पत्रों के आधार पर भाजपा की ओर से उदय सिंह की उम्र में भी घटतौली का आक्षेप लगाया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उदय सिंह ने लिखा है कि सरकारी रिकार्ड के अनुसार, सम्राट चौधरी का नाम 28 मार्च 1995 को हुए लौना परसा नरसंहार (केस संख्या 44/1995, थाना तारापुर) में अभियुक्त के रूप में दर्ज है, तब कुशवाहा समुदाय के छह लोगों की हत्या हुई थी।

    इस मामले में सम्राट चौधरी सहित छह अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। सम्राट कई महीनों तक जेल में रहे, उनकी जमानत अर्जी दो बार निरस्त हुई थी।

    उन्होंने मैट्रिक (हाई स्कूल) के प्रवेश-पत्र के आधार पर अपनी उम्र 15 वर्ष सिद्ध की और नाबालिग का दर्जा पाकर रिहा हो गए। बाद के चुनावी हलफनामों में उन्होंने अपना जन्मवर्ष 1969 बताया, जिससे 2020 में उनकी उम्र 51 वर्ष हो जाती है।

    इससे यह स्पष्ट है कि सन 1995 में उनकी उम्र 26 वर्ष थी, यानी वे नाबालिग नहीं थे। यह विरोधाभास इस बात का भी संकेत है कि गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर सम्राट की जेल से रिहाई कराई गई और एक गंभीर अपराध से उन्हें बचाने का प्रयास हुआ।

    इस प्रकार के व्यक्ति का उच्च पद पर बने रहना न केवल शासन की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि कानून के राज और लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास भी कम करता है।

    इसलिए विनम्र अनुरोध है कि सम्राट को तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और कानून को अपना स्वाभाविक मार्ग अपनाने दिया जाए, ताकि उस नरसंहार के पीड़ितों को न्याय मिल सके।

    पूर्ण विश्वास है कि आपके नेतृत्व में ऐसे मुद्दों को उचित गंभीरता एवं सत्य, न्याय एवं सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही की भावना के साथ सुलझाया जाएगा।

    यह भी पढ़ें- Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले AMU बनता जा रहा राजनीतिक मुद्दा, विपक्षी दलों ने BJP को घेरा

    यह भी पढ़ें- Bihar Government: ग्रेजुएट युवाओं को भी मिलेगा बेरोजगारी भत्ता, 7 निश्चय पोर्टल पर करें रजिस्ट्रेशन