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    Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले AMU बनता जा रहा राजनीतिक मुद्दा, विपक्षी दलों ने BJP को घेरा

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 03:11 PM (IST)

    किशनगंज में 2013 में स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) केंद्र राजनैतिक मुद्दा बन गया है। विपक्षी दल एनडीए पर विकास में बाधा डालने का आरोप लगा रहे हैं जबकि भाजपा एनजीटी की रोक को कारण बता रही है। प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मुद्दे को उठाया है। सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर धन जारी करने की मांग की है।

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    बिहार चुनाव से पहले AMU बनता जा रहा राजनीतिक मुद्दा

    अमरेंद्र कांत, किशनगंज। वर्ष 2013 में किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का केंद्र किशनगंज में खोला गया। मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस शासनकाल में स्थापित किया गया यह केंद्र हर चुनाव में राजनीति का मुद्दा बन जाता है। विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही इस बार फिर से एएमयू सुर्खियों में हैं।

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    राजद, कांग्रेस, जन सुराज और एआईएमआईएम समेत तमाम विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने में जुट गई है। विपक्षी पार्टियां एनडीए को इसके लिए जिम्मेवार बता रही है, जबकि भाजपा एनजीटी की वजह से विकसित नहीं होने की बात कह रही है।

    हाल के दिनों में जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर एक कार्यक्रम में किशनगंज पहुंचे थे। उन्होंने इस मुद्दे को उठाने के साथ ही एएमयू परिसर का भी मुआयना किया था। उन्होंने एएमयू शाखा के विकास नहीं होने के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। अपने चार दिवसीय दौरे पर सीमांचल पहुंचे AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी हर सभा में इस मुद्दे को उठाते रहे।

    उनका कहना था कि इस शाखा के विकास के लिए राशि रोकना इस इलाके के विकास को प्रभावित करना है। कांग्रेस सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद सदन से लेकर शिक्षा मंत्री तक इस मुद्दे को लेकर मिलते रहे हैं। महागठबंधन के नेता एएमयू के लिए किए प्रयास से लोगों को अवगत कराते हुए पेंच फंसाकर राशि रिलीज नहीं करने का ठीकरा एनडीए पर फोड़ रहे हैं।

    इस संबंध में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सह 20 सूत्री के उपाध्यक्ष सुशांत गोप कहते हैं कि सरकार द्वारा 136 करोड़ से अधिक की स्वीकृति वर्षों पहले दी जा चुकी है। लेकिन महानंदा नदी के किनारे जमीन रहने की वजह से एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने निर्माण पर रोक लगा दी थी। जबतक वहां से हरी झंडी नहीं मिल जाती है तबतक भवन का निर्माण कैसे होगा।

    मामले में सांसद डॉ. मु. जावेद आजाद ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर कहा गया था कि 2013 में स्थापित एएमयू किशनगंज केंद्र आज भी स्थायी परिसर के बिना अस्थायी भवन से संचालित हो रहा है। जहां केवल एमबीए पाठ्यक्रम ही चल रहा है। कर्मी व प्राध्यापक की कमी है।

    उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने 2014 में आवंटित 136.82 करोड़ में से अब तक केवल 10 करोड़ जारी किया गया। यूजीसी द्वारा स्वीकृत शिक्षण व गैर-शिक्षण स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई है। कहा कि जब उसी जगह चयनित जमीन पर पुलिस लाइन का निर्माण पूरा हो चुका है, तो हजारों छात्रों के भविष्य से जुड़ा विश्वविद्यालय परिसर आखिर अधर में क्यों लटका है।

    उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य पर लगी एनजीटी की निषेधाज्ञा को हटाने हेतु मंजूरी व हस्तक्षेप करने के संबंध में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार को पत्र लिखा गया था। जिसके उपरांत सचिव ने सदस्य सचिव, राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, बिहार तथा पर्यावरण एवं वन विभाग, बिहार सरकार को पत्र लिखकर माननीय इनपुट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

    अबतक नहीं बन सका भवन

    अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की किशनगंज शाखा को अपना भवन तक नहीं है। बिहार सरकार 2012 में एएमयू के शर्तों के अनुसार 224.2 एकड़ जमीन चकला में हस्तांतरित किया था। 30 जनवरी 2014 में एएमयू कैंपस का शिलान्यास में किया था।

    जानकारी के अनुसार, एएमयू शाखा किशनगंज के लिए 136.82 करोड़ रुपये का फंड निर्गत करने की स्वीकृति दिया गया। एएमयू की शाखा किशनगंज में तो खुल गए। लेकिन समुचित राशि नहीं मिलने के कारण यह शाखा अब तक किराए के मकान में चल रहा है। इस वजह से शाखा में नए कोर्स की पढ़ाई शुरु नहीं हो सकी है।

    नदी किनारे जमीन होने और एनजीटी का भवन निर्माण संबंधित हवाला देकर राशि नहीं दी। किशनगंज में एएमयू की शाखा खुलने के बाद यहां बीएड और एमबीए कोर्स की पढ़ाई शुरू हुई थी। तकनीकी कारणों से बीएड कोर्स की पढ़ाई बंद हो गए। इस समय केवल 60 सीट के लिए एमबीए कोर्स की पढ़ाई चल रही है।

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