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    Bihar News: बिहार में सब्जी की खेती करने वाले किसानों की हो गई बल्ले-बल्ले! नीतीश सरकार ने दे दी बड़ी खुशखबरी

    Updated: Mon, 27 Jan 2025 08:05 PM (IST)

    सरकार सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है। सब्जी विकास योजना के तहत सरकार किसानों को सब्जी की खेती के लिए आने वाले खर्च का 75 प्रतिशत वहन करेगी। इस योजना से किसानों का आर्थिक बोझ कम होगा और उन्हें खेती करने में मदद मिलेगी। योजना के तहत किसानों को गरमा हाइब्रिड सब्जी बिचड़ा और संकर बीज वितरित किए जाएंगे।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, पटना। सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। सब्जी विकास योजना के तहत किसानों को सब्जी की खेती के लिए आने वाले खर्च का 75 प्रतिशत खर्च सरकार उठा रही है। ऐसा कर किसानों का आर्थिक बोझ सरकार कम कर रही है।

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    सब्जियों के प्रकार के अनुसार लक्ष्य निर्धारित

    सब्जी विकास योजना के तहत जिले में प्रति 45 हेक्टेयर में कद्दू, नेनुआ, करेला, भिंडी और मिर्च की खेती तथा प्रति 12 हेक्टेयर में बैगन, तरबूज व खरबूज की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    पटना, उद्यान निदेशालय के सहायक निदेशक अमरजीत कुमार राय ने बताया कि इस योजना के तहत जिले के किसानों को गरमा हाइब्रिड सब्जी बिचड़ा और संकर बीज वितरित किए जाएंगे।   इस योजना में जिले में कुल 261 हेक्टेयर भूमि पर सब्जी की खेती करने का लक्ष्य है।

    आठ प्रकार की सब्जियों पर मिलेगा 75 प्रतिशत अनुदान

    इस योजना के तहत बैगन, तरबूज और खरबूज के बिचड़े पर 75 प्रतिशत दिया जाएगा। प्रत्येक बिचड़े की कीमत तीन रुपये होगी, जिसे अनुदान के बाद 75 पैसे में उपलब्ध कराया जाएगा।

    वहीं, कद्दू, नेनुआ, करेला, भिंडी और मिर्च के बिचड़े पर भी लागत का 75 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। बिचड़ा की उपलब्धता चंडी स्थित सेंटर आफ एक्सीलेंस और बीज की उपलब्धता बिहार राज्य बीज निगम द्वारा किया जाएगा। योजना के लिए आवेदन शुरु हो गया है।

    प्रत्येक किसान को 10 हजार रुपये तक अनुदान

    • सब्जी के बीज की योजना का लाभ लेने वाले प्रति किसान को कम से कम एक हजार रुपये और ज्यादा से ज्यादा 10 हजार तक अनुदान दिया जाएगा।
    • सब्जी का बीज पाने वाले किसानों को कम से कम 0.25 एकड़ और ज्यादा से ज्यादा 2.5 एकड़ तक का बीज सहायतानुदान दिया जाएगा।

    योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी दस्तावेज

    योजना लाभ लेने के इच्छुक किसानों को भूमि स्वामित्व प्रमाण-पत्र, दो वर्ष पूर्व से अपडेटेड राजस्व रसीद, आनलाइन अपडेटेड रसीद, वंशावली, एकरारनामा (विहित प्रपत्र) के आधार पर विधि मान्य भू-स्वामित्व का प्रमाण पत्र में से कोई एक होना अनिवार्य है। ऑनलाइन आवेदन के लिए वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं।

    गेंदा फूल की खेती कर हो रहे समृद्ध

    अररिया के नरपतगंज प्रखंड के मधुरा उत्तर के किसान अब नकदी फसल के रूप में फूलों संग जीना सीख रहे हैं। इस गांव के आधा दर्जन किसान गेंदा फूल की खेती आठ से नौ एकड़ में कर किसानी को नया आयाम दे रहे हैं।

    गांव में सबसे पहले शिवनारायण साह ने गेंदा फूल की खेती शुरू की। उनकी देखादेखी अब आधा दर्जन किसान फूलों की खेती कर अपनी जीविका चला रहे हैं।

    किसान अपने फूल को पड़ोस के नेपाल सहित पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, सुपौल आदि जगहों पर भेजते हैं। एक दिन में पांच से सात क्विंटल तक फूल टूट जाता है।

    एक ही जगह अधिक मात्रा में फूल मिलने से व्यापारी को भी खरीदारी में सुविधा होती है। साधारण खेती से अलग उन्होंने गेंदा फूल की खेती से अपने परिवार की दिशा और दशा बदल दी है।

    किसानों का बढ़ा हौसला

    किसान बिंदेश्वरी साह बताते हैं कि पहली बार की खेती में कुछ बाधाएं आयी थीं, पर अब उन्हें आमदनी होने से हौसला बढ़ा है। बाजार की उपलब्धता और ग्राहकों द्वारा खेत से ही फूल ले जाने से परेशानियां कम हुई हैं।

    गेंदा के फूल की खेती एक वर्ष में तीन बार की जाती है। जनवरी से अप्रैल, मई से अगस्त व सितंबर से दिसंबर में चार-चार माह पर गेंदा की बुआई होती है।

    गेंदे की खुशबू निकटवर्ती क्षेत्र सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, फारबिसगंज, किशनगंज एवं नेपाल के बिराटनगर आदि शहरों में बिखेर रही है।

    बिंदेश्वरी साह को वैशाली जिले के हाजीपुर के एक शिक्षक प्रमोद सिंह सेनी से गेंदे की खेती की प्रेरणा मिली। उसने बताया कि एक खेती का सीजन पांच माह तक रहता है। इसके बाद दूसरी खेती का बीजारोपण होता है।

    इसका बीज कोलकाता एवं नालंदा से मंगा कर बिचड़ा तैयार किया जाता है बाद में उसे पांच एकड़ की इस भूमि पर लगाया जाता है।

    इस दौरान आठ-दस पटवन, समय अंतराल पर खल्ली, डीएपी पोटाश खाद के अलावे कीटनाशक दवा में इंडोफिल आइमिल, रिडोमिल आदि का छिड़काव किया जाता है।

    इतनी होती है कमाई

    बताया कि एक एकड़ में गेंदा फूल तैयार करने में 25 से 30 हजार तक का खर्च आता है। जबकि फायदा करीब एक लाख तक होता है।

    किसान बिंदेश्वरी साह बताते हैं कि एक एकड़ गेहूं में खर्च 16 हजार जबकि धान में खर्च 10 हजार तक होता है, जबकि बचत 30 हजार तक होती है।

    मकई में एक एकड़ में खर्च 35 हजार आता है और मुनाफा 70-75 हजार तक होता है। लेकिन मकई में मेहनत अधिक लगता है। इसके एवज में गेंदे फूल की खेती में अधिक आमदनी होती है और मेहनत कम लगता है।

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