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    Bihar Film Policy: पर्दे पर चमकने लगा बिहार, एक्टिंग और शूटिंग की आई बहार

    Updated: Thu, 17 Apr 2025 08:38 PM (IST)

    Bihar Film Policy बिहार की फिल्म नीति से राज्य में मूवीज की शूटिंग को बढ़ावा मिल रहा है। कई फिल्मों की शूटिंग यहां शुरू भी हो चुकी है और कई अभी पाइपलाइन में हैं। फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए बिहार सरकार किसी और राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा चार करोड़ रुपये तक का बजट दे रही है।

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    फिल्म शूटिंग की शुरुआत करते जदयू नेता संजय झा।

    प्रभात रंजन, पटना। बड़े एवं छोटे पर्दे पर बिहार चमकने लगा है। आनेवाले समय में यह चमक और बढ़ने वाली है। ऐसा इसलिए कि बिहार की फिल्म नीति फिल्ककारों का रुझान बढ़ा रही है।

    नतीजा है कि कई फिल्मों की शूटिंग शुरू हो चुकी है तो कई अभी पाइपलाइन में हैं, जिनकी शूटिंग निकट भविष्य में होनेवाली है।

    इससे एक तो शूटिंग लोकेशनों की सूरत और निखरेगी तो यहां के कलाकारों की किस्मत भी संवरेगी। साथ ही रोजगार का सृजन भी होगा।

    फिल्म नीति लागू करने के बाद शूटिंग के लिए मिलने वाली एनओसी प्रक्रिया को आसान बनाने की कवायद जारी है। देश में कहीं से भी निर्माता निर्देशक राज्य के इलाकों में फिल्म शूटिंग के लिए आनलाइन एनओसी प्राप्त कर सकते हैं।

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    इसे लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से मई के अंत तक फिल्म पोर्टल लांच करने की संभावना है। फिल्म निर्माता व निर्देशक पोर्टल पर अपना आवेदन जमा करने के बाद इमेल के जरिए एनओसी प्राप्त कर सकते हैं।

    इसे जल्द से जल्द सुचारू रूप से आरंभ करने को लेकर विभागीय स्तर कार्य हो रहा है। सारे कार्य सिंगल विंडो सिस्टम के तहत होगा।

    कला संस्कृति एवं युवा विभाग अंतर्गत बिहार राज्य फिल्म वित्त निगम लि. के सलाहकार अरविंद कुमार ने बताया कि प्रदेश में फिल्म नीति लागू होने के बाद फिल्म निर्माताओं का रुझान फिल्मों की शूटिंग को लेकर बढ़ा है।

    इसके लिए सप्ताह में एक या दो आवेदन आ रहे हैं। एनओसी प्राप्त करने को लेकर विभाग की ओर से तेजी से कार्य चल रहा है। जल्द से जल्द इसका लाभ फिल्म निर्माताओं को मिलेगा।

    अन्य राज्यों की तुलना में अधिक सब्सिडी

    अभी तक प्रदेश में 12 फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर निर्माता पर्यटन स्थलों को शूट कर चुके हैं। इसमें भोजपुरी फिल्म संघतिया की शूटिंग पूरी हो चुकी है।

    फिल्म निर्माता विनीत झा व निर्देशक अभिषेक चौहान ने प्रदेश के अलग-अलग स्थलों पर जाकर फिल्म शूटिंग का कार्य संपन्न किया है।

    संघतिया को बिहार सरकार की फिल्म प्रोत्साहन नीति के तहत सब्सिडी का लाभ मिल सकता है। फिल्म की 75 फीसद शूटिंग प्रदेश में हुई है।

    राजधानी के गंगा पथ पर फिल्म की शूटिंग करते कलाकार।

    फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए बिहार सरकार किसी और राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा चार करोड़ रुपये तक का बजट दे रही है।

    भोजपुरी फिल्म संघतिया पूरी होकर सेंसर की प्रक्रिया में है। नई नीति के अंतर्गत सब्सिडी पाने वाली यह पहली फिल्म हो सकती है।

    फिल्म निर्माताओं को सब्सिडी का लाभ शूटिंग पूरी होने के बाद मिलेगा। फिल्म शूटिंग को लेकर निर्माताओं को बिहार राज्य फिल्म वित्त निगम लि. से सहयोग लेना होगा।

    पोर्टल पर होंगे पर्यटन स्थलों के नाम

    पोर्टल पर राजधानी समेत विभिन्न जिलों के पर्यटक स्थलों के नाम होंगे। इसमें पटना के जेपी गंगा पथ, नालंदा, राजगीर, नवादा, सासाराम, दियारा, कैमूर सहित प्रमुख पर्यटन स्थलों के नाम पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा।

    इससे आवेदन करने में निर्माताओं को आसानी होगी। इसके अलावा प्रदेश में वीटीआर, कैमूर, बांका, गया के जंगल समेत वन क्षेत्रों और अन्य स्थलों पर शूटिंग करना आसान होगा।

    शूटिंग के लिए शहर रहा है आकर्षण का केंद्र

    फिल्म शूटिंग को लेकर राजधानी फिल्म निर्माताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। फिल्म नीति लागू होने के बाद अमित राय निर्देशित फिल्म ओ माई डाग की शूटिंग पटना के अलग-अलग स्थानों पर हुई।

    फिल्म में पंकज त्रिपाठी समेत अन्य कलाकार हैं। सूत्रों के अनुसार अगले माह गोविंदा दो फिल्मों की शूटिंग को लेकर आएंगे।

    फिल्म निर्माता विपुल शाह और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने भी फिल्मों की शूटिंग को लेकर बिहार में रुचि दिखाई है। इसके पूर्व महात्मा गांधी पर बनी फिल्म गांधी की शूटिंग भी 1981 में पटना कलेक्ट्रेट भवन में हुई थी।

    फिल्म निर्देशक रिचर्ड एटनबरो ने शूटिंग की थी। 2019 में राजकुमार गुप्ता के निर्देशन में बनी फिल्म इंडियाज मोस्ट वांटेड के दृश्य पटना के गोलघर, काली घाट, एनआइटी घाट, कारगिल चौक, बांकीपुर स्टैंड समेत अन्य जगहों पर दर्शाया था।

    2018 संजय मिश्र की फिल्म डेथ आन संडे का दृश्य गुलबी घाट, बाजार समिति, कदमकुआं, डाकबंगला चौराहे आदि जगहों पर दर्शाया गया था।

    इसके अलावा प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में फिल्म निर्माताओं ने दामुल, गुटरंगू, जानी मेरा नाम, गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इवो आदि का निर्माण फिल्म जगत को नई पहचान दी थी।

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