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    मगध विवि के पूर्व कुलपति पर ED ने कसा शिकंजा, राजेंद्र प्रसाद सहित इन लोगों के खिलाफ दायर की चार्जशीट

    Updated: Sat, 19 Apr 2025 11:02 AM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया है। उन पर कुलपति रहते हुए 2.66 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। ईडी ने पटना की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जिसके बाद अदालत ने इस मामले को संज्ञान में लिया।

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    मगध विवि के पूर्व कुलपति के विरुद्ध ईडी ने दाखिल किया आरोप पत्र

    राज्य ब्यूरो,पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति मामले में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है। इसमें पूर्व कुलपति के साथ उनके बेटे डॉ. अशोक कुमार, भाई अवधेश प्रसाद और प्यारी देवी स्मारक कल्याण ट्रस्ट के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने शिकायत दर्ज की है।

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    15 अप्रैल को दाखिल किया गया आरोप पत्र

    ED ने बयान जारी कर बताया कि 15 अप्रैल को पटना में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया गया और अदालत ने उसी दिन संज्ञान लिया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यह कार्रवाई बिहार पुलिस की विशेष निगरानी इकाई द्वारा पूर्व कुलपति एवं अन्य पर दर्ज प्राथमिकी की जांच के आधार पर की है।

    आय से अधिक संपत्ति का मामला

    पूर्व कुलपति पर आरोप है कि सितंबर 2019 से नवंबर 2021 के बीच मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम करते हुए उन्होंने 2.66 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। इस मामले में विशेष निगरानी इकाई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद राजेंद्र प्रसाद के गया और गोरखपुर स्थित ठिकानों पर छापा भी मारा था।

    64.53 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क

    जांच एजेंसी ने 64.53 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क भी की थी। ED ने इस मामले की जांच में पाया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इन पैसों का इस्तेमाल अपने बेटे अशोक कुमार के नाम पर संपत्ति हासिल करने में किया।

    आरपी कॉलेज के नाम पर अर्जित संपत्तियों को प्यारी देवी मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट को पट्टे पर हस्तांतरित किया गया था, जिसका स्वामित्व उनके परिवार के पास है।

    इसमें दावा किया गया है कि ट्रस्ट के बैंक खाते में कुछ नकदी जमा की गई थी, ताकि इसे आय के रूप में दिखाया जा सके। जांच टीम का मानना है कि पूर्व कुलपति ने अपने परिवार के सदस्यों को शामिल करते हुए एक सुनियोजित साजिश रची, ताकि अपराध की आय से अर्जित संपत्तियों को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया जा सके।

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