Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kharmas Kab Khatam Hoga: खरमास खत्म होते ही शहनाइयां गूंजेंगी, जनवरी में इस तारीख से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 02:47 PM (IST)

    खरमास की शुरुआत के साथ ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य रुक गए हैं। खरमास 14 जनवरी 2025 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद समाप्त होगा। इसके बाद 16 जनवरी से मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। खरमास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान विष्णु सहस्त्रनाम पुरुष सूक्त सत्यनारायण कथा भागवत पाठ करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है।

    Hero Image
    खरमास खत्म होते ही शहनाइयां गूंजेंगी (जागरण ग्राफिक्स)

    जागरण संवाददाता, पटना। सनातन धर्मावलंबियों के खास महीना खरमास (Kharmas 2024 and 2025) पौष कृष्ण प्रतिपदा सोमवार से आरंभ हो गया। खरमास के आरंभ होते ही मांगलिक कार्य शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रमों पर विराम लग गया।

    ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, सूर्य के गुरु की राशि धनु में आने से खरमास का आरंभ, जबकि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद खरमास का समापन होता है। खरमास 14 जनवरी 2025 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद समाप्त होगा। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद मांगलिक कार्य 16 जनवरी से आरंभ होगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सोमवार की सुबह 7.17 बजे सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर गए। इसके कारण खरमास आरंभ हो गया। नव वर्ष 14 जनवरी मंगलवार माघ कृष्ण प्रतिपदा को दोपहर 2.55 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन संक्रांति का पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा। सूर्य ही संक्रांत और लग्न के राजा माने जाते हैं।

    खरमास भगवत पूजन व सेवा करने का मास

    खरमास में भगवान नारायण की पूजा विशेष फलदायी होता है। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि मास में विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सूक्त, सत्यनारायण कथा, भागवत पाठ, आदित्य हृदयस्त्रोत्र का पाठ, भास्कर को अर्घ्य तथा गरीब, असहाय को अन्न, वस्त्र का दान, गौ सेवा, बड़े-बुजुर्गों की सेवा, ब्राह्मण को अन्न, फल, गर्म वस्त्र का दान करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है। खरमास में पितृ पिंडदान का खास महत्व है।

    खरमास में भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा,पाठ करने से अत्यंत प्रसन्न होते हैं और जातक यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक धाम को वास करता है। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।

    वर्ष में दो बार लगता है खरमास

    वर्षभर में दो बार खरमास लगता है। जिसमे पहला खरमास धनुर्मास और दूसरा मीन मास में लगता है यानि सूर्य जब गुरु की राशि धनु व मीन में प्रवेश करता है तो खरमास होता है। सूर्य के कारण गुरु निस्तेज हो जाते है। इसीलिए सूर्य के गुरु की राशि में प्रवेश करने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी-विवाह के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है।

    नव वर्ष में विवाह के मुर्हूत

    बनारसी पंचांग के अनुसार:

    • जनवरी: 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 26, 27
    • फरवरी: 1, 2, 3, 6, 7, 8, 12, 13, 14, 15, 16,17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25
    • मार्च: 1, 2, 3, 6, 7, 11, 12, 13

    मिथिला पंचांग के मुताबिक:

    • जनवरी: 16, 19, 20, 23, 24, 29, 30
    • फरवरी: 2, 3, 6, 7, 16, 19, 20, 21, 24, 26
    • मार्च: 2, 3, 6, 7

    ये भी पढ़ें- Weekly Vrat Tyohar 16 To 22 December 2024: पौष माह के पहले सप्ताह में मनाए जाएंगे ये व्रत और त्योहार

    ये भी पढ़ें- Punpun Kharmas Mela: पुनपुन अंतरराष्ट्रीय खरमास मेला 16 दिसंबर से, इस बार खास तरह की है व्यवस्था