पटना में 20 एकड़ जमीन पर बने मकानों को तोड़ेगा प्रशासन, डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के आवास को घेरा
Patna News अपराधियों और उपद्रवियों के घरों पर बुलडोजर चलते तो आप देख चुके हैं लेकिन पटना में इस बार आम लोगों के मकान को बुलडोजर से तोड़ने की तैयारी है। इसके विरोध में प्रभावित लोगों ने उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद के आवास का घेराव किया है।
जागरण संवाददाता, पटना। अपराधियों और उपद्रवियों नहीं बल्कि इस बार आम लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी है। पटना में करीब 20 एकड़ जमीन पर बने करीब 70 मकानों को एक सप्ताह के अंदर तोड़ने के लिए अंचल अधिकारी ने नोटिस दे दी है। प्रशासन ने इससे पहले भी इन मकानों को खाली करने का आदेश दिया था, लेकिन मकान मालिकों ने सीओ से गुहार लगाई, तो उन्होंने दोनों पक्षों को बुलाकर सारे कागजात देखे और फैसला लिया। ये सारे मकान पटना के राजीवनगर- दीघा के बीच नेपालीनगर इलाके में हैं। प्रशासन के फैसले के विरोध में प्रभावित लोग रविवार की सुबह उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद के आवास पर पहुंच गए। आवास का घेराव कर उनका घर तोड़ने से प्रशासन को रोकने के लिए मांग की।
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प्रशासन का दावा है कि येे सभी मकान राज्य हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए हैं। आपको बता दें कि इस इलाके में हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बने मकानों की संख्या एक- दो नहीं, बल्कि हजारों में हैं। इनमें आइएएस, आइपीएस और जजों तक के घर शामिल हैं।
दीघा-नेपालीनगर जमीन विवाद एक बार फिर सुलग उठा है। विवाद गर्म होने का मुख्य कारण पटना सदर के सीओ का नोटिस है, जिसमें 20 एकड़ जमीन पर बने भवनों को तोडऩे का निर्देश जारी किया गया है। सीओ ने तीन सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि नेपालीनगर की 20 एकड़ जमीन आवास बोर्ड ने अधिग्रहित की थी और इस पर बने मकान अवैध हैं। उन मकानों को एक सप्ताह के अंदर तोड़ा जाए।
साथ ही यह भी कहा कि अगर मकान मालिक स्वयं नहीं तोड़ेंगे तो प्रशासन उसे ध्वस्त करेगी। इस कार्रवाई में खर्च होने वाली रकम भी मकान मालिक से वसूली जाएगी। इसको लेकर दीघा-नेपालीनगर एवं राजीवनगर में दहशत के साथ आक्रोश का माहौल है। इलाके में बैठकों का दौर जारी है। आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। यहां के बाशिंदे सभी दलों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं।
1974 में जारी हुई थी अधिसूचना
दीघा के पूर्व मुखिया चंद्रवंशी सिंह ने बताया कि 1024 एकड़ जमीन अधिग्रहण की सूचना आवास बोर्ड ने 1974 में जारी की थी। उसके बाद से जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ। आवास बोर्ड ने जमीन अधिग्रहण की घोषणा की, लेकिन आज तक किसानों को एक रुपया का भी मुआवजा नहीं मिला। किसान बार-बार एक ही तर्क दे रहे हैं कि जब मुआवजा दिया नहीं तो फिर अधिग्रहण कैसा? वे आवास बोर्ड को ही अतिक्रमणकारी बता रहे हैं।
मुआवजा दो हजार रुपये प्रति कट्ठा, बिक्री दर 93.75 लाख रुपए
दीघा के किसानों का कहना है कि आवास बोर्ड ने जमीन के लिए दो हजार रुपये प्रति कट्ठा मुआवजा निर्धारित किया था। हालांकि, बोर्ड ने हाल में बिहार पुलिस वायरलेस कार्यालय को 93 लाख 75 हजार रुपये प्रति कट्टे की दर से जमीन दी है। वहीं, आवास बोर्ड किसी भी जमीन पर लाभ नहीं कमा सकता है। ये नियम के विरुद्ध है।
जमीन एवं आवास बचाने के लिए हर कदम उठाएंगे
नेपालीनगर की जमीन को लेकर दीघा भूमि आवास बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्रीनाथ सिंह का कहना है कि अपने भूखंड और मकान को बचाने के लिए यहां के नागरिक हर कदम उठाएंगे। सीओ के आदेश के खिलाफ डीएम कोर्ट एवं पटना हाईकोर्ट में गुहार लगाएंगे। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक भी जाएंगे, लेकिन दीघा में किसी भी व्यक्ति का मकान टूटने नहीं देंगे।
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