दिल्ली-झारखंड और अब बिहार: 'घुसपैठिये' पर एनडीए Vs महागठबंधन, क्या रंग लाएगी रणनीति?
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी घुसपैठियों के मुद्दे पर विपक्ष को घेर रहे हैं वहीं विपक्षी दल रैलियों और यात्राओं से अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मतदाता अधिकार यात्रा निकाली जिसमें मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सवाल उठाए गए। भाजपा ने विपक्ष पर घुसपैठियों का बचाव करने का आरोप लगाया है।

डिजिटल डेस्क, पटना/नई दिल्ली। Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव अब नजदीक है। कुछ ही दिनों में चुनाव आयोग तारीखों का भी एलान कर देगा। ऐसे में इस समय बिहार में सभी पार्टियों के नेताओं के बीच एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चल रहा है।
चुनावी साल होने के कारण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बार-बार बिहार का दौरा हो रहा है। इस समय बिहार में 'घुसपैठियों' का मुद्दा गरमाया हुआ है। प्रधानमंत्री जहां एक ओर अपनी रैलियों-सभाओं में घुसपैठियों का बचाव करने के मुद्दे को लेकर विपक्ष पर हमलावर हैं।
वहीं, विपक्षी दल भी यात्राएं, रैलियों और सभाओं के माध्यम से प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं।
ऐसे में यहां एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि इस मुद्दे पर राजग (एनडीए) और महागठबंधन (इंडी गठबंधन) की रणनीतियां चुनाव में क्या रंग लाएंगी?
पूर्णिया दौरे में प्रधानमंत्री ने उठाया था मुद्दा
बता दें कि बीते दिनों पूर्णिया दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं जो कह रहा हूं उसे आप सभी ध्यान से सुनिए। हमें हर घुसपैठिए को निकालना होगा। घुसपैठ पर रोक लगाना एनडीए की जिम्मेदारी है। भारत में घुसपैठियों की मनमानी नहीं, बल्कि देश का कानून चलेगा।
पीएम के इस भाषण के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी दौरा किया और चेतावनी देते हुए कहा था कि बिहार में राहुल गांधी के नेतृत्व में महागठबंधन की वोट अधिकार यात्रा का उद्देश्य घुसपैठियों के मताधिकार की रक्षा करना है।
राहुल-तेजस्वी की यात्राएं और SIR को लेकर आरोप
बता दें कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बीते माह हुई 14 दिवसीय मतदाता अधिकार यात्रा में विपक्ष की एकजुटता देखी गई।
ऐसा इसलिए क्योंकि महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग पर भाजपा की मदद करने के लिए राज्य में मतदाता सूची का पुनरीक्षण यानि एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने का आरोप लगाया था।
सियासी जानकार कहते हैं कि यहां पर गौर करने वाली बात यह कि चुनाव के समय अवैध प्रवास का मुद्दा हर बार तूल पकड़ता है। यह पहली बार नहीं है, जब हमने किसी राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर आवाज उठाई हो।
चाहे वह असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में चुनाव रहे हों या दिल्ली-झारखंड के, अवैध घुसपैठ का मुद्दा पहले से ही भाजपा का प्रमुख मुद्दा रहा है।
दिल्ली के चुनाव में चले थे 'शब्दबाण'
बता दें कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव के दौरान भी अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों का मुद्दा उठाया गया था। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने आप सरकार पर दक्षिणी दिल्ली के ओखला में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को बसाने का आरोप लगाया था।
उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि आप की सरकार ने ओखला में बांग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाकर 'पाप' किया है।
इस चुनाव के दौरान, भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच राजधानी में पंजीकृत 'अवैध मतदाताओं' को लेकर टकराव हुआ था।
भाजपा ने आप पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या 'घुसपैठियों' को दिल्ली में वोट देने का अधिकार देने और जाली दस्तावेजों के जरिए फर्जी मतदाताओं को जोड़ने का आरोप लगाया था।
वहीं, केजरीवाल की सरकार ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाने का आरोप लगाया था।
उस दौरान भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा था कि हमारी पार्टी का रुख यह है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में मतदाता के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हम ऐसे लोगों को वोट नहीं देने देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी पहचान करके उनके नाम मतदाता सूची से हटवाएं।
केजरीवाल ने भाजपा पर पूर्वांचलियों की तुलना रोहिंग्या और बांग्लादेशियों से करने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसद में खुलेआम स्वीकार किया कि पूर्वांचलियों, रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के नाम हटाए गए हैं।
पूर्वांचलियों को रोहिंग्या कहा जा रहा है। जो लोग यूपी और बिहार से दिल्ली आए और 30-40 साल से यहां बसे हैं, उन्हें रोहिंग्या या बांग्लादेशी कैसे कहा जा सकता है?
वहीं, भाजपा ने दिल्ली में 70 में से 48 सीटें जीतकर आप सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और ये जीत इतनी प्रचंड थी कि केजरीवाल भी अपनी सीट पर चुनाव हार गए थे। यह जीत दर्शाती है कि दिल्ली चुनाव में भाजपा का यह मुद्दा कारगर साबित हुआ।
झारखंड में भी मुद्दे को मिली हवा
बीते साल के अंतिम महीनों में हुए झारखंड के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी, अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत शीर्ष भाजपा नेताओं ने पूरे राज्य में प्रचार किया था।
उस समय भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झामुमो सरकार पर राज्य को रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने का आरोप लगाया गया था। उसी चुनाव में पीएम मोदी ने 'एक रहोगे तो सुरक्षित रहोगे' का नारा भी दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषणों में कहा कि झारखंड में तुष्टिकरण की राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई है, जहां झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थन करने में व्यस्त है।
अगर ऐसा ही चलता रहा, तो झारखंड में जनजातीय आबादी कम हो जाएगी। हालांकि, चुनाव परिणामों के बाद भाजपा यहां सरकार बनाने में असफल रही और हेमंत सोरेन का जलवा बरकरार रहा।
नए संकट के बीज बोए जा रहे: प्रधानमंत्री
बता दें कि प्रधानमंत्री कई मंचों से लगातार अवैध घुसपैठ के मुद्दों को उठाते रहे हैं। पीएम ने एक मंच से कहा भी था कि मैं देश को एक ऐसी चिंता के प्रति आगाह करना चाहता हूं, जो एक संकट के रूप में उभर रही है।
एक पूर्व-नियोजित साजिश, देश की जनसांख्यिकी को बदला जा रहा है। एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं।
अब ऐसे में इधर बिहार में जैसे ही चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया की शुरूआत की। वैसे ही विपक्ष के नेताओं ने चुनाव आयोग पर भी भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया।
एसआईआर को लेकर विपक्ष जहां लोगों के वोट काटने की बात बताता रहा, वहीं, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व लगातार विपक्ष पर घुसपैठियों को बचाने का आरोप लगाता रहा है।
आने वाला समय तय करेगा सारे समीकरण
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए भाजपा बिहार उपाध्यक्ष संतोष पाठक ने कहा कि हाल ही में संपन्न एसआईआर प्रक्रिया से सीमांचल में घुसपैठियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
उन्होंने दावा किया कि हालांकि, यह मामला संघ सूची में आता है; लेकिन स्थानीय स्तर पर बांग्लादेश से आने वाले लोगों को आसानी से आधार कार्ड उपलब्ध करा दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि एसआईआर पूरी हो चुकी है और अब तक इस प्रक्रिया से बाहर रखे गए लोगों द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है, जिससे पता चलता है कि सीमांचल जिलों में वास्तव में घुसपैठिए हैं।
जब भी मुसलमानों की बात आती है, पूरा विपक्ष एकजुट होकर खड़ा हो जाता है। अब बिहार चुनाव में अवैध घुसपैठ का मुद्दा कितना असरदार होगा, यह तो आने वाला समय तय करेगा।
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