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    कंफ्यूजन में कांग्रेस: RJD से दोस्‍ती बरकरार रखें या अपना रास्‍ता अलग बनाएं...

    By Rajesh ThakurEdited By:
    Updated: Sat, 31 Aug 2019 08:51 AM (IST)

    पिछले दो दशक से अंतर्कलह से परेशान रही बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) अब एक नई समस्या से ग्रस्त हो गई है। पार्टी असमंजस में है। खासकर राजद को लेकर पार्टी पूरी तरह कंफ्यूज्‍ड है।

    कंफ्यूजन में कांग्रेस: RJD से दोस्‍ती बरकरार रखें या अपना रास्‍ता अलग बनाएं...

    पटना [एसए शाद]। पिछले दो दशक से अंतर्कलह से परेशान रही बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) अब एक नई समस्या से ग्रस्त हो गई है। पार्टी में 'असमंजस' पनपने लगा है। सबसे बड़ी दुविधा राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) को लेकर है। पार्टी नेता यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि कांग्रेस को राजद (RJD) के साथ मिलकर चुनाव लडऩा है या अकेले ही आगे बढऩा है। ऐसे मसलों पर प्रदेश अध्यक्ष का स्पष्ट रुख सामने नहीं आने के कारण वरिष्ठ नेताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही है। इसकी झलक दो दिन पूर्व पार्टी की सलाहकार समिति की बैठक में साफ दिखाई दी। 

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    बैठक में नहीं बन पाई थी एक राय

    प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) की उपस्थिति में हुई इस बैठक में पार्टी को मजबूत बनाने के उपाय ढूंढने से अधिक वरिष्ठ नेता इस बात पर उलझे रहे कि पार्टी को राजद के साथ तालमेल करना चाहिए या नहीं, लेकिन कोई एक राय नहीं बन पाई। केवल तालमेल ही नहीं, बल्कि संगठन विस्तार, सदस्यता अभियान, अन्य दलों से आए नेताओं और चुनाव के दौरान पार्टी से निलंबित किए गए नेताओं को लेकर भी असमंजस की स्थिति है।

    शत्रुघ्‍न समेत कई दिग्‍गजों ने थामा था दामन

    सूत्रों ने बताया कि इस असमंजस के कारण ही यह तय नहीं हो पा रहा कि सभी 243 सीटों पर संगठन को लेकर सक्रियता बनाई जाए या उन सीटों पर ही फोकस किया जाए, जिन पर पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में लड़ी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 41 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस वर्ष लोकसभा चुनाव के समय शत्रुघ्न सिन्हा, पप्पू सिंह, तारिक अनवर जैसे दूसरे दल के कई वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा था, मगर चुनाव में उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई।

    राजद के हैं 80 विधायक, जबकि कांग्रेस के 27

    प्रदेश नेतृत्व अभी तय नहीं कर पा रहा है कि बाहर से आए इन नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए या पुराने कांग्रेसियों को सक्रिय किया जाए। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों में सिर्फ कांग्रेस के डाॅ. मो. जावेद किशनगंज से विजयी हुए थे। इसे आधार मान कांग्रेस विधानमंडल के नेता सदानंद सिंह कांग्रेस को राजद से बड़ी पार्टी बता रहे हैं। हालांकि राजद के पास सबसे अधिक 80 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास मात्र 27 विधायक ही हैं।

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    शकील अहमद व भावना झा को लेकर भी असमंजस

    राष्ट्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए पूर्व मंत्री डा. शकील अहमद और विधायक भावना झा को कांग्रेस से निलंबित किया था। इस मामले में भी प्रदेश कांग्रेस में असमंजस की स्थिति है। कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा इनके निलंबन वापसी की वकालत की जा रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इन दुविधाओं ने ही संगठन विस्तार, सदस्यता अभियान जैसे कार्यक्रमों का रास्ता रोक रखा है।