Bihar Politics: चुनाव से पहले कांग्रेस एक्टिव, डिप्टी CM पोस्ट को लेकर रखा पक्ष; 70 सीटों की डिमांड!
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने ऐलान किया है कि वह 2020 में जितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी उससे कम सीटों पर 2025 में नहीं लड़ेगी। कांग्रेस 70 से ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है। साथ ही पार्टी उप मुख्यमंत्री पद को लेकर भी दबाव की रणनीति बना रही है।
सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) में अभी देर है। बावजूद तमाम दल मैदान में अपनी ताकत आजमाने उतर चुके हैं। एक ओर भाजपा (BJP) बूथ स्तर पर संगठन की मजबूती के लिए अभियान चला रही है तो दूसरी ओर जदयू (JDU) अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ बिहार के दौरे की तैयारी में है।
वहीं, मुख्य विपक्षी दल राजद (RJD) के नेता और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) जिलास्तरीय यात्रा पर हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी जिलों की यात्रा का कार्यक्रम बनाया है। हालांकि, पार्टी ने अब तक कार्यक्रम की घोषणा तो नहीं की है, परंतु चर्चा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह 15 जनवरी के बाद बिहार यात्रा पर निकल सकते हैं।
हालांकि, बिहार यात्रा प्रारंभ करने के पूर्व कांग्रेस ने चुनाव में सहयोगी दलों के साथ सीटों के तालमेल को लेकर प्रमुख सहयोगी राजद पर दबाव की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
इतिहास को देखते हुए कांग्रेस ने लिया फैसला
दरअसल, कांग्रेस ने चुनावी इतिहास को देखते हुए यह कदम उठाया है। इस बहाने कांग्रेस राजद को यह संदेश देना चाहती है कि चुनावों में उसे कमतर न आंका जाए। राजनीति के पुराने पन्ने इस बात की तस्दीक करते हैं कि चुनाव के वक्त सीटों के तालमेल में राष्ट्रीय जनता दल ने कांग्रेस को कम करके आंका। यह अलग बात है कि सीटें मिलने के बाद भी कांग्रेस प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी।
दबाव बनाने की रणनीति बना रही कांग्रेस
2015 के विधानसभा में कांग्रेस को 40 सीटें मिली जिसमें से उसने 27 पर जीत दर्ज की। इसी प्रकार 2020 में पार्टी 70 सीटों पर लड़ी जरूर पर जीत सकी महज 19 सीटें। बावजूद कांग्रेस का मानना है कि भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस ही कर सकती है। चाहे प्रदेश हो या देश का चुनाव भाजपा को सीधी चुनौती कांग्रेस से ही मिलती रही है। लिहाजा उसे उसी अनुपात में सीटें भी मिलनी चाहिए। यह वह वजह है कि पार्टी दबाव की रणनीति को लेकर आगे बढ़ रही है।
70 से ज्यादा सीटों की डिमांड!
अभी रविवार को पार्टी के एक कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने बयान दिया कि कांग्रेस 2020 में जितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी उससे कम सीटों पर 2025 में भी नहीं लड़ेगी। जाहिर है कांग्रेस की इस मांग से अन्य सहयोगी जैसे वामपंथी दल और विकासशील इंसान पार्टी के साथ ही राजद जैसे प्रमुख सहयोगियों की परेशानी बढ़ी है। 70 से ज्यादा सीटों की मांग के साथ ही पार्टी उप मुख्यमंत्री पद को लेकर भी दबाव की रणनीति बना रही है।
पार्टी के बिहार के प्रभारी सचिव शाहनवाज आलम ने हाल ही में मांग उठाई कि 2025 में महागठबंधन की सरकार बनने की स्थिति में यदि राजद का मुख्यमंत्री होता है तो वैसी स्थिति में उस सरकार में दो उपमुख्यमंत्री भी होने चाहिए। जिनमें एक अल्पसंख्यक समाज से हो, जबकि दूसरा सवर्ण समाज से।
सीटों के बंटवारे में लालू की मर्जी जरूरी!
दरअसल, कांग्रेस भी जानती है कि यदि उसने अभी से सहयोगियों पर दबाव बनाना शुरू नहीं किया तो वैसी स्थिति में उसे चुनाव के वक्त परेशानी उठानी पड़ सकती है। पार्टी जानती है कि सीटों के तालमेल में सबसे ज्यादा राजद प्रमुख लालू प्रसाद की चलती रही है।
वहीं, हाल के दिनों में लालू प्रसाद ने जिस प्रकार आईएनडीआईए की कमान ममता बनर्ती को सौंपने की मांग की उसने कांग्रेस को परेशान कर दिया है। लालू की इस मांग का कांग्रेस ने जमकर विरोध भी किया, लेकिन बात यहीं नहीं समाप्त हुई। अब उसने इसी बहाने राजद और लालू प्रसाद के साथ ही अन्य सहयोगियों के सामने अभी से कांग्रेस मुखर होने लगी है ताकि चुनाव के वक्त सीटों के लिए उसे अधिक पापड़ न बेलने पड़े।
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