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    कभी धूप, कभी कोहरे संग ठंडी हवाओं की मार; बदलता मौसम कर रहा बीमार

    प्रदेश के मौसम में लगातार बदलाव जारी है। सुबह के समय घना कोहरा और फिर धूप निकलने से लोगों को थोड़ी राहत मिलती है। हालांकि इस दौरान ठंडी हवाओं की वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं रात के समय तापमान में तेजी से गिरावट आती है। मौसम में बदलाव की वजह से बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।

    By Pawan Mishra Edited By: Divya Agnihotri Updated: Fri, 17 Jan 2025 01:32 PM (IST)
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    आयुर्वेद के उपाय आजमाकर ठंड में करें बीमारियों से बचाव

    जागरण संवाददाता, पटना। किसी दिन दोपहर में तेज धूप तो सुबह-शाम बर्फीली हवाएं। अगले ही दिन ऐसा घना कोहरा कि चेहरा भीग जाए व हवाएं ऐसी कि हाड़ कंपा दें।

    इस कारण हर दूसरा शख्स सर्दी-खांसी, जुकाम व बुखार के साथ कोल्ड डायरिया यानी पेट में दर्द-मरोड़, दस्त, उल्टी या कब्ज की समस्या से परेशान है। ऐसे में यदि आयुर्वेद के अनुसार आहार, विहार का अनुसरण किया जाए तो इस मौसम में स्वस्थ रहा जा सकता है।

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    ठंड के मौसम में होती हैं ये समस्याएं

    इस मौसम में अधिसंख्य लोग सर्दी-खांसी, जोड़ों के दर्द, त्वचा के रूखेपन या पाचन संबंधी समस्याओं की चपेट में आते हैं। आयुर्वेद के अनुसार ठंडी व कड़वी खाद्य सामग्रियों से परहेज करते हुए स्वस्थ रहने के लिए कुछ खास आहार व कार्य कर इनसे बचा जा सकता है।

    स्वस्थ रहने के लिए करें खान-पान से संबंधी ये उपाय

    • आंवला, दालें, अनाज, गेहूं-चने का आटा, ताजा चावल, मक्का आदि का सेवन करना चाहिए।
    • लहसुन, अदरक, दूध एवं गन्ने से बनी चीजें खानी चाहिए।
    • सोंठ, उड़द से बने पदार्थ, गुड़, नारियल, तिल का सेवन फायदेमंद होता है।
    • गुनगुना पानी पिएं, इससे पाचन एवं शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं।
    • घी-तिल शरीर को गर्माहट व पोषण देते हैं तो मूंगफली, बादाम, अखरोट-खजूर जैसे मेवे ऊर्जा देने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
    • हल्दी वाला दूध रात में पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ सर्दी-खांसी से बचाव होता है।
    • तुलसी, अदरक व काली मिर्च की चाय या काढ़ा पीने से गला व श्वसन तंत्र स्वस्थ रहता है।
    • गुड़ एवं सोंठ पाचन को दुरुस्त रखने के साथ शरीर को पर्याप्त गर्म रखता है।
    • हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, चुकंदर व आंवला एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

    एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की उपलब्धता में प्रदेश अव्वल

    चिकित्सकीय आपात स्थिति में मरीज की जान बचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है त्वरित एंबुलेंस सेवा की। प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

    अब रोगियों तक औसतन 22 मिनट में एंबुलेंस पहुंच रही है। वहीं, चलंत आइसीयू सुविधा युक्त एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस की उपलब्धता मामले में राज्य राष्ट्रीय मानक से बेहतर हो गया है।

    राष्ट्रीय मानक के अनुसार प्रति पांच लाख की आबादी पर एक एएलएस एंबुलेंस होनी चाहिए। इसके विपरीत प्रदेश में प्रति 2.17 लाख की आबादी पर एक एएलएस एंबुलेंस उपलब्ध है। वहीं, राष्ट्रीय मानक के अनुसार प्रति एक लाख की आबादी पर एक बेसिक सपोर्ट एंबुलेंस चाहिए, लेकिन प्रदेश में प्रति 1.19 लाख पर एक है।

    एजेंसी के माध्यम से एंबुलेंस को संचालित करने वाली राज्य स्वास्थ्य समिति के पास 2024-25 के जनवरी से अक्टूबर तक 1001 बीएलएस एवं 574 एएलएस एंबुलेंस चालू हालत में थीं।

    राज्य में नवंबर 2024 से नई एजेंसी जेनप्लस प्राइवेट लिमिटेड को 102 एंबुलेंस सेवा के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। तीन फरवरी तक इस एजेंसी को 700 बीएलएस एंबुलेंस व 57 शव वाहन को डायल 102 में जोड़ेगी।

    प्रदेश के प्रमुख शहरों में मौसम का हाल

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