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    पहले शाह-पारस की मीटिंग, फिर गृहमंत्री से मुलाकत के बाद अचानक बदल गए चिराग के सुर; BJP से क्या मिला संदेश?

    Updated: Sun, 01 Sep 2024 11:51 AM (IST)

    हाल ही में केंद्रीय मंत्री अमित शाह की मुलाकात पशुपति कुमार पारस के साथ हुई थी। इसके बाद शुक्रवार को चिराग पासवान की अमित शाह से मुलाकात हुई। अब आलम ये है कि चिराग के बोल पूरी तरह से बदल गए हैं। दरअसल कुछ समय से चिराग खास मुद्दों को लेकर भाजपा से दूरी बनाने लगे थे लेकिन शाह से मुलाकात के बाद उनके अंदर बदलाव देखने को मिला है।

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    केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और अमित शाह की फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रालोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के बीच मुलाकात का असर लोजपा (रा) के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के खेमे में दिखने लगा है।

    कुछ दिन पहले तक दूसरे राज्यों में स्वतंत्र रूप से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले चिराग अब तालमेल के आधार पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इस बीच, शुक्रवार को चिराग की मुलाकात अमित शाह से भी हो गई।

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    चिराग ने कहना शुरू कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका संबंध अटूट है। कम से कम उनके प्रधानमंत्री रहने तक तो इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।

    असल में अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर, उप वर्गीकरण एवं केंद्रीय सेवाओं में लैटरल इंट्री जैसे मुद्दे पर चिराग भाजपा से थोड़ी दूरी बनाकर चलने लगे थे।

    भाजपा ने उनके किसी स्टैंड पर कोई टिप्पणी नहीं की। बस, पारस की अमित शाह से मुलाकात करवा दी गई।इसके माध्यम से चिराग को संकेत दिया गया कि भाजपा बिहार में पारस को उनके विकल्प के रूप में पेश कर सकती है।

    चिराग को दिया गया ये भी संदेश

    इसके अलावा यह संदेश भी राजनीतिक गलियारे में तैरने लगा कि चिराग के पांच में से तीन सांसद उनसे अलग स्टैंड ले सकते हैं। पांच सदस्यीय लोजपा (रा) संसदीय दल में विभाजन के लिए तीन सांसदों की संख्या पर्याप्त है।

    चर्चा इतनी तेज हुई कि चिराग के दो सांसदों-वीणा देवी और राजेश वर्मा ने मीडिया के सामने कहना शुरू कर दिया कि हम सब पार्टी के साथ हैं। चिराग से अलग होने का प्रश्न नहीं उठता है। 2019 में एकीकृत लोजपा के छह सांसद थे। इनमें तीन परिवार के ही थे। फिर भी विभाजन हो गया। 2024 में लोजपा के पांच सांसद जीते हैं।

    इनमें सिर्फ दो-चिराग और उनके बहनोई अरुण भारती ही परिवार के हैं। चिराग को भाजपा अप्रत्यक्ष रूप से यह भी संदेश दे रही है कि उनके सांसदों की जीत राजग के दलों के सहयोग से हुई है।

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