Chirag Paswan: 'कंगना मेरी दोस्त', शादी के सवाल पर आया चिराग का रिएक्शन; जवाब देने से पहले शर्मा गए!
Bihar Politics चिराग पासवान ने बिहार के लिए अपने विजन को साझा किया। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि बिहार का हर परिवार उन्हें अपना भाई और बेटा समझे। उन्होंने शिक्षा चिकित्सा इंफ्रास्ट्रक्चर पर्यटन और उद्योग को बिहार के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। चिराग ने कहा कि जाति-धर्म की राजनीति ने बिहारी होने को गाली बना दिया है।

कुमार रजत, पटना। राजनीति के सवाल पर बेबाक, प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना में मर्यादित, पिता और परिवार की बात पर भावुक और शादी की बात पर आंखें झुकाकर ठेठ बिहारी की तरह शर्माना।
चिराग पासवान की पूरी शख्सियत इन्हीं तस्वीरों को जोड़कर बनती है। वह राजनीति के 'सुटेबल ब्वाय' हैं। उनकी सहजता लोगों को अपनी ओर खींचती है और बातें यह भरोसा दिलाती हैं कि राजनीति 'चिराग से रोशन' है।
चिराग जो पांच सांसदों वाले दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। चिराग जो केंद्रीय कैबिनेट में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हैं।
चिराग जो फिल्म अभिनेता रह चुके हैं और अब राजनीति के चमकते सितारे हैं। वहीं चिराग जब जनता के बीच जाते हैं, तो तस्वीरें लेने के लिए मंच पर घुटने के बल बैठ जाते हैं।
उनके साथ सेल्फी लेने के लिए कोई बांह पकड़कर प्लीज कहता है, तो वह खुद मोबाइल लेकर सेल्फी खींच लेते हैं। राजनीति में नेता का यह रूप विरले हैं।
तारामंडल सभागार में बिहार संवादी के मंच पर रविवार को चिराग पासवान का यही रूप दिखा। उन्होंने कहा भी सीएम या पीएम बनने की चाहत नहीं है। मैं चाहता हूं बिहार का हर परिवार समझे कि मैं उनका भाई और उनका बेटा हूं। उनके ही जैसा हूं।
फन विद चिराग के सत्र में दैनिक जागरण नेशनल ब्रांड टीम के महाप्रबंधक प्रशांत कश्यप ने जिस स्पष्टता से सवाल पूछे, चिराग पासवान ने उतनी ही स्पष्टता से उनका जवाब दिया।
पार्टी का क्या प्लान है, इस सवाल में छिपे व्यंग्य को समझते हुए चिराग कहते हैं, 40 की उम्र भी पार हो गई, अब तो बस एक ही पार्टी है- लोजपा (आर)। पार्टी कई उतार-चढ़ाव से गुजरी है, तीन साल कठिन रहे हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो यह साल महत्वपूर्ण है। भाजपा की कौन सी अच्छी बात है, जिसे लागू करना चाहेंगे के सवाल पर चिराग कहते हैं कि भाजपा के संगठन की कार्यशैली सबसे खूबसूरत पक्ष है।
नकरात्मक पक्ष कोई नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग लड़ने के सवाल पर कहा कि उस समय गठबंधन ने अहमियत नहीं दी, इसलिए ताकत दिखाना जरूरी था।
जाति-धर्म में बंटने की राजनीति ने बिहारी होने को गाली बना दिया : चिराग
बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट विजन के सवाल पर चिराग ने कहा कि इसमें बिहारी होने का गौरवबोध है। मैं दिल्ली में पला-बढ़ा, जब बिहार आता तो यहां परिचय में कोई ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, पिछड़ा, मुस्लिम मिलता, कोई बिहारी नहीं मिलता।
यही बिहारी जब दूसरे राज्य या देश जाते तो इनकी पहचान बिहारी होती। तो फिर अपने राज्य में जाति-धर्म क्यों? इसी जाति-धर्म में बांटने की राजनीति ने बिहारी होने को कब गाली बना दिया, पता ही नहीं चला।
बिहार में बदलाव के पांच प्रमुख विजन पूछने पर चिराग ने शिक्षा, चिकित्सा, इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन और उद्योग का नाम लिया। कहा कि शिक्षा ही जाति से बिहार को बाहर लाएगी।
उद्योग पर चर्चा करते हुए बताया कि जल्द ही देश का तीसरा खाद्य प्रौद्यिगिकी संस्थान निफ्टेम बिहार में शुरू होगा। इसी तरह ग्रामीण चिकित्सा, गांव को शहरों से जोड़ने की बात चिराग ने कही।
पर्यटन का जिक्र करते हुए कहा कि जब अयोध्या में राममंदिर बन सकता तो बिहार में माता सीता का मंदिर बनाकर क्यों नहीं बनता।
कंगना अच्छी दोस्त, उनके साथ वाले रील्स देखकर खुद हंसता हूं
चिराग शादी कब करेंगे, इस सवाल पर शर्माते-सकुचाते चिराग मुस्कुराकर चुप लगा देते हैं, मगर दर्शक दीर्घा से प्लीज बोलिए कि आवाज पर व्यंग्य करते हैं कि काम करते-करते उम्र निकल गई।
अभिनेत्री एवं सांसद कंगना रनौत के साथ हाथ मिलाते या गले मिलते रील्स और मीम्स देखकर मां कुछ नहीं कहती, इस सवाल पर चिराग कहते हैं कि कंगना मेरी मित्र हैं।
हमलोग खुद हंसते हैं कि यह सब क्या चल रहा है? कंगना को राजनीतिक टिप्स देने के सवाल पर चिराग कहते हैं कि कंगना बिल्कुल स्पष्ट हैं, उनको किसी टिप्स की जरूरत नहीं।
सुबह डेढ़ घंटे पूजा किए बिना घर से बाहर नहीं निकलता
- चिराग ने आस्था के सवाल पर कहा कि मैंने अपने हर पहलू को खुलकर रखा है। मैं आस्तिक हूं। महादेव का भक्त हूं। सुबह डेढ़ घंटे पूजा किए बिना घर से बाहर नहीं निकलता। महादेव का भक्त हूं।
- जब तक पिता (रामविलास पासवान) जिंदा थे, वही मेरे महादेव थे। इस आस्था और ध्यान ने ही बुरे समय में मुझे सकारात्मक रखा कि सब ठीक हो जाएगा।
- इसके साथ संयम बहुत जरूरी है। जब लगेगा सब चला गया और जब लगे सबकुछ पा लिया, दोनाें समय संयम बनाए रखना चाहिए।
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