महज इतनी उम्र में 10वीं कक्षा में पहुंच गया बच्चा, CBSE का नियम फॉर्म भरने में बना बाधा; अब Patna HC ने दिया ये निर्देश
पटना हाई कोर्ट ने दस वर्ष दस माह के बच्चे को सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा (एएएसएसई) देने हेतु अनुमति दिये जाने के मामले पर सुनवाई की। न्यायाधीश अनील कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने छात्र समीर राज के पिता अरुण कुमार सिन्हा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सीबीएसई के चेयरमैन के समक्ष सभी वर्ग के परीक्षा के रिजल्ट के साथ अभ्यावेदन देने का आदेश दिया।

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने दस वर्ष दस माह के बच्चे को सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा (एएएसएसई) देने हेतु अनुमति दिये जाने के मामले पर सुनवाई की।
न्यायाधीश अनील कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने छात्र समीर राज के पिता अरुण कुमार सिन्हा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सीबीएसई के चेयरमैन के समक्ष सभी वर्ग के परीक्षा के रिजल्ट के साथ अभ्यावेदन देने का आदेश दिया।
अगर छात्र प्रतिभावान हैं तो बोर्ड परीक्षा की अनुमति दें: हाई कोर्ट
साथ ही चेयरमैन को दायर अभ्यावेदन पर विचार कर आदेश जारी करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि चेयरमैन दो माह के भीतर आदेश जारी करें। कोर्ट ने अपने आदेश से स्पष्ट किया कि यदि वे कि छात्र को प्रतिभावान पाते हैं तो उसे अगले वर्ष होने वाले बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता का कथन था कि सीबीएसई ने 15 वर्ष उम्र का हवाला दे रजिस्ट्रेशन करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनुराग सौरव ने कोर्ट को बताया कि छात्र काफी प्रतिभावान है और उसका शैक्षणिक प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है।
वर्ग चार, पांच व छह के वार्षिक परीक्षा में उसे ग्रेड ए1 ऐवं ग्रेड2 आया। वर्ग सात में 91 प्रतिशत तथा आठ में 95.83 प्रतिशत अंक मिले। साढ़े नौ वर्ष के आयु में उसे नवम वर्ग में प्रोन्नति दी गई।
नामांकन के लिए न्यूनतम और अधिक्तम उम्र तय नहीं
उनका कहना था कि उसे अगले वर्ष बोर्ड परीक्षा देनी है, लेकिन सीबीएसई के परीक्षा कानून 6.1(ए)(iii) के तहत नामांकन के लिए न्यूनतम और अधिक्तम उम्र तय नहीं है।
वहीं, सीबीएसई की ओर से विनय कृष्ण त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि आवेदक के पुत्र सीधे वर्ग चार में नामांकन लिया, जबकि वर्ग एक मे नामांकन के लिए कम से कम पांच वर्ष का होना अनिवार्य है। इस प्रकार वर्ग आठ में नामांकन के लिए कम से कम आठ वर्ष होना चाहिए।
उन्होंने वर्ग चार में लिये गये नामांकन पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि नामांकन गलत है। कोर्ट ने सीबीएसई की ओर से उठाये गये सवालों को खारिज करते हुए कहा कि छात्र का रिजल्ट देख ऐसा लगता है कि वह बोर्ड का परीक्षा पास करने की क्षमता रखता है।
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